लाइन की बात पुरानी है, अब तो इ-बटुआ की कहानी है। ‘मन की बात’ में पीएम समझा गए हैं: डिजिटल हो जाओ, इ-बटुआ ले आओ, इ-बटुआ उत्तम है। युवाओ आगे आओ, सबको सिखाओ इ-बटुआ!
चैनलों का एजंडा इ-बटुए में समा जाता है। एक चैनल, दो चैनल, तीन चैनल एक से एक इ-बटुआ बेचे जा रहे हैं। एक्सपर्ट बता रहे हैं- ये बढ़िया है, वो बढ़िया है, ये ‘पेटीएम’ लो। वो ‘मोबीक्विक’ लो। ये ‘पेयू’ का है, वो ‘वक्रांगी केंद्र’ है। इस नंबर पर फोन करो, घर बैठे पाओ: इ-बटुआ!
भाषा बदल दी गई है। सारा विमर्श डिजिटल दिशा में लुढ़का दिया गया है। डिजिटल की दुनिया में बहस नहीं होती!
विपक्ष की भाषा पुरानी है, वह एक्सपोज की भाषा में फंसा है।
एनडीटीवी की रिपोर्टर बिहार में भाजपा की कैश से जमीन खरीद के कागज दिखाती है। लेकिन कौन सुनने वाला है? मूंदहु आंख कतहुं कछु नाहीं!
राज्यसभा में विपक्ष झींकता रहा: पीएम जी आएं, विपक्ष को सुनें अपनी सुनाएं। पीएम जी आते हैं, लंच तक बैठते हैं, फिर नहीं आते हैं, इसलिए मांग है पीएम जी आएं पीएम जी आएं। राहुल ताना मारते हैं: पीएम सब जगह जाते हैं, कभी हंसते हैं, कभी रोते हैं, संसद में वे क्यों नहीं आते?
एक दिन ‘भारत बंद’ की खबर है। कोलकाता में भीड़ है। वामपंथी बंद है और बंद फ्लाप है! चैनल विपक्ष को कोंचते रहे: बिफरे हो तो बिखरे क्यों हो?
पाक की ओर से नगरोटा पर हमला कैश संकट से ध्यान हटाता है। हमले में सात शहीद हुए हैं। चैनल फुफकारे हैं। एंकर रिपोर्टर हुंकारे हैं। रिटायर्ड जनरल गोले बरसाने लगे हंै कि अबकी बार पाकिस्तान को तगड़ी मार!
दो दिन तक चैनलों को बैंकों की लाइनें नहीं दिखीं! दिखाओ तो लाइनें हैं, न दिखाओ तो कहां हैं?
शोक श्रद्धांजलि की बात पर विवाद रहा। विपक्ष की लाइन थी: नगरोटा के शहीदों समेत नब्बे लाइन में लगे हुए शहीदों को श्रद्धंजलि देनी है। सत्ता पक्ष कहता रहा: आॅपरेशन जारी है, जब खत्म होगा तब देंगे! आयकर बिल लोकसभा में बिना बहस पास हुआ!जनतंत्र का कमाल!
इस सप्ताह सत्ता के पक्षधरों ने चैनलों में लाइनें लगा दीं। पहले वित्तमंत्री, फिर जयंत सिन्हा, फिर नीति आयोग के बिबेक देबराय, फिर नंदन नीलकेणी, फिर आदि गोेदरेज, फिर पानगड़िया। ‘डिजिटल इंडिया जिंदाबाद’ होता रहा!
जवाब में, मानो, अमर्त्य सेन-से आए: वे हारवर्ड से एनडीटीवी पर बोलते थे और नोटबंदी पर अपनी असहमति को खोलते थे: नोटबंदी अमानवीय है। जनता को धोखेबाज मानते हैं। यह तानाशाही फैसला है। पूंजीवाद विश्वास पर चलता है और इस कदम ने वह विश्वास ही खत्म कर दिया है। नांलदा विवि के मामले में राष्ट्रपति सरकार के निर्देश पर काम किए हैं। बरखा कहती हैं कि राष्ट्रपति देखेंगे तो जवाब देंगे। जवाब तुरंत नहीं आता!
फिर पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री आए और बताते रहे कि किस तरह नोटबंदी का राज्यों के टैक्स कलेक्शन पर बहुत बुरा असर पड़ा है। राज्य सरकारों को घाटा हो चुका है। केंद्र कैसे मदद करेगा? नोटबंदी कर दी, परिणाम नहीं सोचे। इसके साथ जनता जीएसटी की मार नहीं झेल सकती।
उसके बाद षड्यंत्र की कथाएं दिखने लगीं: राहुल का ट्विटर हैंडिल छियासठ सेकेंड तक हैक हुआ। राहुल के प्रवक्ता नाराज दिखे, कहने लगे कि जब राहुल के ट्विटर का यह हाल है, तो डिजिटल इंडिया का कौन हवाल? थाने में शिकायत की कि इतने में कांग्रेस का ट्विटर अकांउट हैक हुआ। हाय हाय! प्रियंका चतुर्वेदी ने एक चैनल पर आकर आरोप लगाया कि भाजपा की डिजिटल सेना ने किया है। यह साजिश है। सुब्रह्मण्यम स्वामी बोले कि इतने लोगों को नाराज किया है, अंदर के आदमी ने ही किया होगा। मंत्रीजी बोले, जांच बिठा दी है!
उधर ममता दी का जहाज तेल की कमी में भी हवा में लटका रहा। नीचे उतरने ही न दिया। कितनी भयानक बात? कल को कुछ हो जाता? जिसने उड़ने दिया उसने क्या तेल चेक नहीं किया? आठ मिनट का तेल बचा था। अगर कुछ हो जाता तो? टीएमसी के सेनानी बोलते हैं: ये साजिश है! निरंकुशता है।
डिजिटल भजन जारी है: आरती करो डिजिटल की! एक विज्ञापन कहता है: छुट्टे की खिच खिच की छुट्टी करो। पेटीएम करो पेटीएम करो, मोबीक्विक करो मोबीक्विक करो। जनहित करो जनहित करो, डिजिटल करो डिजिटल करो!
ऐसे गाढ़े वक्त में ‘आरआइल एसबीआइ वेंचर’ के सौजन्य से मुकेश अंबानीजी सभी चैनलों पर लाइव आते हैं। कहते हैं: जियो से जियो। सबसे तेज ग्रोथ वाला है, आधार आधारित है, बेस्ट है, डिजिटल करता है। ताली बजती है, जै जै होती है, जियो फेसबुक से तेज ग्रोथ वाला है। फिर ताली पड़ती है। जै जै होती है! जियो में डाटा ही डाटा है। मदद के लिए सरकार का धन्यवाद है। मैं आदरणीय पीएम जी की नोटबंदी का समर्थन करता हूं, उन्होंने डिजिटल इकोनॉमी को बूस्ट दिया है। यह लोगों का मांइडसेट बदलने में मददगार है। इससे सब कुछ अकाउंटेबिल हो उठेगा। हर भारतीय के पास डिजिटल एटीएम होगा, लाइन में नहीं लगना होगा। घर बैठे पेमेंट होगा टाइम बचेगा। डिजिटल आधारित इकोनॉमी भारत को मदद करेगी। मैं पीएम को फिर बधाई देता हूं कि इस कदम से बेकार पड़ा पैसा काम में लगेगा। डिजिटल किसान होगा, डिजिटल मजदूर होगा, भारत मजबूत होगा। भारत कैशलेस होगा। डिजिटल भारत का उनका सपना साकार होगा!
राष्ट्रगान को लेकर एक पीआइएल पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया अंतरिम आदेश बड़ी खबर बना: फिल्म के पहले और फिल्म के अंत में तिरंगा फहरे। राष्ट्रगान जरूरी! दर्शक खड़े हों। सिनेमा हॉल के दरवाजे बंद रहेंगे! चर्चा शुरू! एनडीटीवी की गुडी-गुडी चर्चा में शाइना एनसी ने तर्क जमाया: यह आदेश देशभक्ति को पापूलर करेगा। एक छात्र बोला कि आप देशभक्ति थोप नहीं सकते। उपहार त्रासदी की मारी एक महिला बोलीं कि हॉल के दरवाजे बंद न होते तो उपहार में इतने लोग न मरते! लेकिन आदेश तो आदेश है!
बाखबरः इ-बटुआ
इस सप्ताह सत्ता के पक्षधरों ने चैनलों में लाइनें लगा दीं। पहले वित्तमंत्री, फिर जयंत सिन्हा, फिर नीति आयोग के बिबेक देबराय, फिर नंदन नीलकेणी, फिर आदि गोेदरेज, फिर पानगड़िया। ह्यडिजिटल इंडिया जिंदाबादह्ण होता रहा!
Written by सुधीश पचौरी

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First published on: 04-12-2016 at 03:02 IST