(पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रहने वाले पीयूष वर्धन सिंह टीचर के साथ-साथ बीजेपी कार्यकर्ता भी हैं। द इंडियन एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट लालमणि वर्मा से उनकी हुई बातचीत पर आधारित)
मैं वाराणसी का एक टीचर हूं। मेरी उम्र 35 साल है। मेरा परिवार भी अध्यापन के पेशे से जुड़ा हुआ है। मेरी मां आशा सिंह सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध दो स्कूल चलाती हैं। मैंने कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है। मैं अपनी मां के स्कूलों में कम्प्यूटर और गणित पढ़ाता हूं। मैं अपने परिवार के साथ रहता हूं। परिवार में मां-बाप के अलावा, मेरी पत्नी, दो बच्चे, मेरा छोटा भाई व उसकी पत्नी हैं। हम वाराणसी के लंका इलाके में रहते हैं। मैं 2011 से बीजेपी का कार्यकर्ता हूं।
2015 मेरे लिए बेहद बुरे ढंग से समाप्त हुआ। मेरी पत्नी श्वेता ने नवंबर महीने में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इनमें एक लड़का और लड़की थे। दुर्भाग्यवश वक्त के पहले डिलीवरी होने की वजह से मेरी बेटी नहीं बच सकी। हालांकि, प्रोफेशनल स्तर पर यह साल मेरे लिए कामयाबियों भरा रहा। दोनों स्कूलों में पहले से तीस फीसदी ज्यादा एडमिशन हुए। और तो और, दसवीं और 12 वीं की परीक्षाओं में हमारे सभी बच्चे पास हो गए। इसके बावजूद, मुझे एक बात का दुख है। बीते दो सालों से मैं ग्रामीण इलाकों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोलने की कोशिश कर रहा हूं। हालांकि, मुझे मनमुताबिक जगह पर सस्ती कीमत पर जमीन नहीं मिल सकी।
2015 कुल मिलाकर पूरे वाराणसी के लिए अच्छा साल साबित हुआ। यह आपका संसदीय क्षेत्र है प्रधानमंत्री जी। 2015 में हमारे ऊपर सौगातों की बरसात हुई। कई इलाकों में बिजली के अंडरग्राउंड केबल्स का विस्तार हुआ। नया रिंग रोड भी बन रहा है। आपने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में एक ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन भी किया। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों का काफी भला होगा। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना जैसी स्कीम्स की वजह से सभी को और ज्यादा आर्थिक सुरक्षा मिली।
हालांकि, बहुत सारा काम होना अभी बाकी है। वाराणसी साफ हवा के लिए तरस रहा है। बहुत सारे दोपहिया वाहन चालक किसी दुर्घटना के बजाए धूल और प्रदूषण से बचने के लिए हेल्मेट पहनते हैं। कई सरकारी विभाग सड़कों पर लगातार खुदाई करते रहते हैं, जिसकी वजह से हमारी हालत बहुत खराब है। इसकी वजह से तो और ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। शहर में घरेलू कचरे के निस्तारण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए समृद्ध माने जाने वाला यह शहर किसी और देश में होता तो शायद इसे ज्यादा बेहतर ढंग से संभाला गया होता।
2016 में बतौर बीजेपी कार्यकर्ता मेरे लिए सबसे बड़ी चिंता की बात राज्य में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। मुझे चिंता है कि बीजेपी से जुड़े संगठनों की ओर से राम मंदिर, वैलेंटाइन डे जैसे मुद्दों पर दिए जा रहे विवादास्पद बयान पार्टी के चुनावी मंसूबों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये वे मुद्दे नहीं हैं, जिसके लिए लोगों ने 2014 में बीजेपी को वोट दिया था। इसके बजाए वे विकास और आर्थिक तरक्की चाहते हैं, जैसा कि गुजरात में हुआ था।
प्रधानमंत्री जी, मैं उम्मीद करता हूं कि बीते साल शुरू हुईं विकास से जुड़ी परियोजनाएं 2016 में आकार लेना शुरू कर देंगी। उदाहरण के तौर पर, सांसद ग्राम योजना कामयाब होगी, जिसे बीजेपी चुनावों में हाईलाइट कर सके। आपको बीजेपी सांसदों और विधायकों द्वारा फंड के इस्तेमाल की भी समीक्षा करनी चाहिए।
हाईवे और रिंग रोड का निर्माण, गंगा की सफाई जैसी योजनाएं वास्तविकता में तब्दील होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी मुद्दा बना देंगी। वे कहेंगे कि पीएम अपने संसदीय क्षेत्र में भी योजनाओं को लागू करने में नाकाम रहे। अगर जापानी पीएम के दौरे के लिए पूरा शहर हफ्ते भर के भीतर साफ हो सकता है तो क्या यह ऐसे भी साफ सुथरा बना नहीं रह सकता।
2016 में मैं ग्रामीण इलाके में एक स्कूल खोलने की इच्छा रखता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे पिता अपने टैक्सी के व्यवसाय में एक लग्जरी बस और कार भी शामिल करें। अगर अधिकारी दिल्ली की तरह ही वाराणसी में प्रीपेड टैक्सी चलाने की इजाजत दें तो ट्रैवल के बिजनेस से जुड़े मेरे पिता जैसे कई लोगों को फायदा पहुंचेगा। मैं बगल के ही इलाके गाजीपुर से सांसद और केंद्रीय रेलवे राज्य मंत्री मनोज सिन्हा से भी दरख्वास्त करता हूं कि वे तत्काल रेलवे टिकटों की बुकिंग पर कब्जा जमा चुके दलालों का कुछ उपाय करें। मैं आपसे भी निवेदन करता हूं कि वाराणसी समेत सभी प्रमुख शहरों में साइकिलों के लिए अलग से ट्रैक विकसित किया जाना सुनिश्चित करें। ये पर्यावरण के हिसाब से मुफीद होंगे। मुझे लगता है कि सरकार को सोलर एनर्जी को भी प्रमोट करना चाहिए। इससे प्रदूषण फैलाने वाले डीजल से चलने वाले जनरेटर्स का इस्तेमाल घटेगा।
इसके अलावा, सरकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से सही लोगों तक पहुंचाने पर भी काम होना चाहिए। ऐसे कदम न उठाए गए तो बालश्रम और भिखारियों की समस्या बनी रहेगी। ये लोग वाराणसी जैसे पर्यटन के दृष्टिकोण से अहमियत रखने वाले शहर में देश की खराब तस्वीर पेश करते हैं। जहां तक स्वास्थ्य सेवाओं का सवाल है, आप वाराणसी में एक एम्स क्यों नहीं स्थापित करवाते ताकि पूर्वी यूपी के लोगों को इससे फायदा हो और वे सस्ती कीमत पर बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं हासिल कर सकें।
2014 के चुनावी अभियान के दौरान आपने काम के तलाश में यूपी के युवाओं का गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जाने का मुद्दा उठाया था। आप अपने मेक इन इंडिया कैंपेन के तहत पूर्वी यूपी में आईटी या मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा क्यों नहीं देते? 2016 में आपका फोकस सरकार चलाने में ज्यादा पारदर्शिता लाने पर होनी चाहिए। हम सरकारी दफ्तरों में लालफीताशाही और भ्रष्टाचार से थक चुके हैं। और हां, यह भी निवेदन है कि विदेशों में जमा कालाधन जरूर वापस लाएं।