उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को फटकार लगाते हुए कहा कि क्रिकेट की देश में इस शीर्ष संस्था ने खेल के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
उच्चतम न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि बोर्ड को इसके सदस्यों ने परस्पर फायदा पहुंचाने वाला संगठन बनाकर रख दिया है। अदालत बोर्ड में व्यापक सुधारों के लिए जस्टिस आरएम लोढा समिति की सिफारिशों पर सुनवाई कर रही थी। वर्ष 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग में सट्टेबाजी और मैच फीक्सिंग के आरोपों के बाद उच्चतम न्यायालय ने इस समिति का गठन किया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई के वकीलों को यह भी कहा कि वह अदालत को यह दलील न दें कि इन सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सकता है। ज्ञातव्य है कि गत चार जनवरी को लोढा समिति ने अपनी दूसरी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी जिसमें कुछ और सिफारिशें दी गई थीं जिनमें देश में क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी रूप से वैध करना भी शामिल था।
लोढा समिति ने बीसीसीआई में व्यापक पैमाने पर बदलाव और सुधार करने की सिफारिशें दी हैं जिनमें शीर्ष अधिकारियों की पद पर बने रहने की समय सीमा, सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों को बोर्ड में कोई पद पर काबिज नहीं होने और बोर्ड के रोजाना कार्यों के लिये मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने जैसे कई बातें शामिल हैं। इसके अलावा समिति ने बीसीसीआई को सूचना के अधिकार कानून के तहत लाने की भी इच्छा जताई है।