एनडीटीवी लाइन मारता है: भारत के दबाव ने कमाल किया!
इंडियन प्रेसर (कुकर?) वर्क्स! पाकिस्तान ने मसूद अजहर को हिरासत में लिया!
ऐसे मौके पर टाइम्स नाउ ने और गरम लाइन मारी: पाक बकल्स अंडर प्रेसर! पकिस्तान दबाव में झुका! एंकर इतने से संतुष्ट न दिखा। उसने कहा: सिर्फ हिरासत में लेने से काम नहीं चलने वाला। मसूद को हमारे हवाले करो। उसका हिसाब हम करेंगे!
हर चैनल इसी तरह की लाइन देता नजर आया: पहली बार पाकिस्तान झुका। उसकी अकड़ टूटी। बल्ले बल्ले! लगा मसूद अब हाथ लगा, अब हाथ लगा। भाजपा प्रवक्ता से लेकर हर वक्ता प्रवक्ता इस खबर से उत्तेजित नजर आता रहा!
अगली शाम तक यह स्टूडियो छाप समस्त वीरता ठंडी हो गई। बिना सॉरी बोले, बिना अपनी गलती माने, सारे चैनल किसी ताबेदार की तरह, लाइन बदल कर बताने लगे: ‘मसूद अजहर पाकिस्तान में हिरासत में लिया गया है या नहीं, किसी को पता नहीं!’
‘उसे पाकिस्तान ने हिरासत में लिया, कोई पक्की खबर नहीं।’
‘दोनों देशों की सहमति से नई तिथि पर वार्ता होगी।’
दो शामें देशभक्ति और वीरता का बाजार गरम करने के नाम रहीं। फिर एक शाम सब विदेश मंत्रालय की लाइन बेचने लगे कि बातचीत किसी और तिथि के लिए टली है!
पहली बार अपने चैनल दयनीय दिखे। पाकिस्तान द्वारा मसूद को हिरासत में लेने की खबर को एकदम पलट कर ‘बातचीत की नई तिथि’ की खबर बना देने वाले एंकरों के चेहरों पर एक ‘सॉरी’ तक नहीं दिखी! लगता है कि हिरासत में लेने की खबर या तो प्लांटेड थी या चैनलों की देशभक्ति की फैक्टरी में बनी थी, जो पक्की बिलकुल नहीं थी, लेकिन जिसे पक्की की तरह बजाया जाता रहा और डींगें हांकी जाती रहीं कि पाकिस्तान पहली बार हमारे दबाव में आया है! अगले रोज पाकिस्तान ने और अपने विदेश सचिव ने साफ कर दिया कि मसूद हिरासत में लिया गया कि नहीं, यह कोई पक्की खबर नहीं है!
दो शामें जल्लीकट्टू की बहाली और रोक के नाम रहीं। वह शायद इंडिया टुडे चैनल ही था, जिसके फ्रेम के बीचोंबीच एक तगड़ा-सा बैल अपने खुरों से बार-बार जमीन की धूल को पीछे फेंक कर अपना सच्चा क्रोध दिखाता रहा और जब उसने भड़काने वाले नौजवानों पर तेजी से चार्ज किया तो गले में बंधी रस्सी ने उसकी दौड़ को अचानक धीमा कर दिया। चारों ओर उसको झुकाने वाले युवा थे, एक-दो उसकी पूंछ को बुरी तरह खींचते थे, कोई उसके कंधे के गूमड़ को पकड़ कर वश में करना चाहता था, लेकिन बैल सबको पलटी मार कर गिराता दिखता था। चार-चार युवा उसे झुका नहीं पाते थे और विद्वानों में बहस छिड़ी थी कि यह परंपरा है कि हिंसा और इसे बहाल किया जाना चाहिए कि रोका जाना चाहिए कि जयललिताजी ने मांग कर दी कि उसे लीगल करने के लिए अध्यादेश लाए केंद्र सरकार! सरकार चुप! प्रवक्ता चुप!
भाजपा के प्रवक्ताजन क्या करें? हर शाम सज-संवर कर शाल-दुशाने ओढ़ कर फ्रेमों में बैठ कर हर हाल में पार्टी को बचाने के लिए तर्कयुद्ध करते रहते हैं। एक शाम जल्लीकट््टू की बहाली की परंपरा के नाम पर जय जय की तो अगले रोज अदालत की रोक पर अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं कह कर वक्त काटा। एक प्रवक्ता परंपरा के नाम पर कुछ ज्यादा हांक कर मुसीबत मोल ले बैठे। एक सरकार और बैरी हजार और भाजपा के बैरी न जाने कितने। एक ने दे मारा कि अगर परंपरा की खातिर जल्लीकट्टू को बहाल किया है, तो सती प्रथा ने क्या बिगाड़ा है? एंकर कहती रही कि जल्लीकट्टू की परंपरा प्रतिबंधित सती प्रथा से तुल्य नहीं मानी जा सकती।
एक से एक पशु प्रेमियों के दर्शन कर दर्शक कृतार्थ हुए। एक रिटायर्ड केंद्रीय सचिवजी ने जल्लीकट्टू के लिए सांड़ को बधिया बनाने के लिए किए जाते अत्याचार और फिर उसे काबू में न आने देने के लिए उत्तेजित बनाने के उपायों के बारे में बताया। और जल्लीकट्टू पर लगने वाले जुए के बारे में बताया!
एक शाम बालिका रेपिस्टों को बधिया करने की मांग पर भी बहसें जमी रहीं। इंडिया टुडे पर राजदीप सरदेसाई रेपिस्ट को बधिया करने की मांग के विपक्ष में तर्क देते रहे और सिर्फ एक वकील उनसे सहमत दिखी, लेकिन कई वकील बलात्कारी को बधिया करने के पक्ष में जुटे रहे। अपने टीवी जनतंत्र में तीन घंटे बधिया करने, न करने पर बहस होती है। सावधान! बधिया एक ‘सेक्सिस्ट’ शब्द है!
कॉमेडी नाइट के कॉमेडियन कीकू को एक बाबाजी की नकल उड़ाने के अपराध में अचानक पुलिस ने धर लिया, तो धरे जाने की खबर बनी। बाबा का मजाक उड़ाने पर भी किसी कॉमेडियन को गिरफ्तार किया जा सकता है! एंकर चिंता में दिखे कि क्या अब कॉमेडियनों को जेलों में डाला जाएगा?
अंत में कीकू शारदा अपनी हिफाजत करने के लिए खुद चैनलों में नजर आए। उन्होंने बताया कि किस तरह उनको पुलिस ने उठाया, किस तरह लेकर आए और ऐसा लगता है कि पुलिस के पास कोई बेहतर काम नहीं बचा है। कीकू को अफसोस रहा कि उन्हें बचाने कोई आगे नहीं आया! यार कीकू! अपने देश की तो ट्रेजेडी यही है कि लोग कॉमेडी तक से डरते हैं! और तुम रोते क्यों हो भाई? अपनी हिरासत पर भी एक ठो कॉमेडी मारो!
मालदा के दंगों की खबर से बड़ी बहसों में से एक चैनल की खुली बहस की एक बानगी देखें:
एंकर का सवाल जेडीयू प्रवक्ता से: बिहार का नेता मालदा में क्या कर रहा था? वह क्यों शामिल था वहां रैली में?
प्रवक्ता: आप अपने चैनल पर झूठ बोल रहे हैं!
एंकर: आप वोट बैंक पॉलिटिक्स बंद कीजिए!
प्रवक्ता: आप जेडीयू पर दोष मढ़ना बंद कीजिए!
एंकर: वो अवार्ड वापसी ब्रिगेड कहां गई…।
भाजपा के एक प्रवक्ता: आप (इस) मौलाना को बोलने के लिए अलाउ मत कीजिए, ये कह चुका है कि हिंदू कहां जाएंगे…।
एंकर मौलाना से: आप एक लुंपेन की तरह व्यवहार किए हैं… (और ऐसा लगा कि मौलाना की आवाज कम कर दी गई है)!
बाखबरः हिरासत में कॉमेडी
कॉमेडियन कीकू को एक बाबाजी की नकल उड़ाने के अपराध में अचानक पुलिस ने धर लिया, तो धरे जाने की खबर बनी। बाबा का मजाक उड़ाने पर भी किसी कॉमेडियन को गिरफ्तार किया जा सकता है! एंकर चिंता में दिखे कि क्या अब कॉमेडियनों को जेलों में डाला जाएगा?
Written by सुधीश पचौरी

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First published on: 17-01-2016 at 01:01 IST