उपराज्यपाल के साथ अपने तीखे टकराव के बीच आप सरकार ने आज संयुक्त पुलिस आयुक्त एम के मीणा को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के प्रमुख का पदभार ग्रहण करने देने से मना किया जिन्हें उपराज्यपाल ने इस पद पर नियुक्त किया है। दिल्ली सरकार ने मीणा को सूचित किया कि वह एसीबी से नहीं जुड़ सकते क्योंकि इस जांच एजेंसी में अनुमोदित संयुक्त आयुक्त का पद नहीं है जबकि इन अधिकारी ने कहा कि वह उपराज्यपाल के आदेश का पालन करेंगे। मीणा को प्रभार ग्रहण नहीं करने देने का आप सरकार का फैसला ऐसे वक्त आया है जब दिल्ली पुलिस ने कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को धोखाधड़ी एवं फर्जीवाड़े के आरोपों में गिरफ्तार किया है। उपराज्यपाल नजीब जंग ने कल दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त मीणा को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा का प्रमुख नियुक्त किया था जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पद के लिए एस एस यादव को चुना था।
पहले अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी एसीबी के प्रमुख हुआ करते थे लेकिन उपराज्यपाल ने कल इस जांच एजेंसी के प्रमुख का दर्जा अतिरिक्त आयुक्त से बढ़ाकर संयुक्त आयुक्त कर दिया। मीणा फिलहाल नयी दिल्ली क्षेत्र के संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं और उपराज्यपाल के आदेश में कहा गया है कि वह एसीबी का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। अरविंद केजरीवाल सरकार ने मीना को नियुक्त करने के उपराज्यपाल के कदम की आलोचना की है।
आप सरकार और जंग पिछले महीने दिल्ली के कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर भिड़ गए थे और उनके बीच सत्तासंघर्ष छिड़ गया था। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज कहा, ‘‘आपातकाल जैसे हालात पैदा कर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के नये प्रमुख का पद सृजित करने की अवैश कोशिश की गयी है। वे ऐसी स्थिति पैदा कर रहे हैं ताकि एसीबी को अपने क्षेत्राधिकार में ले आएं। ’’
उन्होंने कल कहा था, ‘‘संयुक्त आयुक्त के नये पद को सृजित करने और अपने अधिकारी नियुक्त करने के पीछे की साजिश क्या है? कहीं यह इस डर से हुआ है कि एसीबी सीएनजी फिटनेस घोटाले का जांच करेगी।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि एसीबी की अगुवाई के लिए उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त अधिकारी ने उन्हें फंसाने के लिए अप्रैल में जंतर मंतर पर एक रैली में एक किसान की आत्महत्या को हत्या बताने की कोशिश की थी।