पूर्वी राजस्थान के कोचर गांव के आस-पास फैले पठार को क्षेत्र को ‘गायों का कब्रिस्तान’ कहा जाने लगा है। नीचे रहने वाले चरवाहे दूध ना देने वाली गायों को हर साल ऊपर चरने के लिए भेज देते हैं। लेकिन इन गर्मियों में चारे-पानी की कमी से उनकी मौत हो जाती है। पिछले तीन-चार महीनों में, हजारों गायें यहां आकर भूख से मर गई। इसकी वजह से कांग्रेस और बीजेपी में एक राजनैतिक लड़ाई छिड़ गई है।
यहां चारों तरफ मरी हुई गायें और कंकाल नजर आते हैं। एक किनारे पर, पहाड़ों की एक दीवार के पीछे गायों का बड़ा सा ढेर लगा हुआ है। गिद्धों और बाजों के लिए यह भोजन की सबसे अच्छी जगह है। आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से यहां रहने वाली करीब 2500 गायें बहुत कमजोर और गंभीर रूप से कुपोषित नजर आती हैं।
स्थानीय निवासी महेश कहते हैं, “यहां हजारों गायें हैं, सब की सब गायब छोड़ दी गईं या खो गई। जो मरी नहीं, वे मरने का इंतजार कर रही हैं। वे भूखी हैं और कमजोर भी, यहां उनके पास सूखे भूसे के सिवा कुछ भी नहीं।”
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ज्वलंत मुद्दों की कमी के बीच, विपक्षी कांग्रेस के लिए सत्ताधारी भाजपा पर हमला करने का इससे बेहतर मौका क्या हो सकता है जो गायों के संरक्षण को अपनी प्राथमिकताओं में रखती है। वह भी तब, जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बाकायदा गोपालन मंत्री तैनात कर रखा है।
पिछले महीने राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट यहां आए थे। जिसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पर गायों की शमशान भूमि की विचलित कर देने वाली तस्वीर पोस्ट की थी। पायलट के यहां आने के दो दिन बाद ही सरकार ने गायों के चारे और पानी के लिए एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार का एक करोड़ रुपया घटकर 60 लाख पर आ गया, और वह भी तीन जिलों में बांटा गया। राजस्थान गोपालन मंत्री ओतराम देवासी मानते हैं कि मदद पहुंचने में देरी हुई, मगर वे कांग्रेस के आरोपों को नकार रहे हैं।