अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनिया के कई देश आज जब अवैध आप्रवासियों की घुसपैठ रोकने के लिए कड़ा कदम उठा रहे हैं, तो भारत ने भी इस दिशा में एक बड़ी पहल की है। अवैध आप्रवासन और विदेशी नागरिकों के आने से संबंधित एक विधेयक लोकसभा में पेश कर स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मुद्दे पर उतना ही गंभीर है, जितना दूसरे देश। आने वाले समय में वह सख्त कदम उठा सकता है। कोई दोराय नहीं कि आंतरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आप्रवासन प्रक्रिया को मजबूत बनाने की दिशा में भारत का यह बड़ा निर्णय है।
उसने इसके साथ ही दूसरे देशों खासकर पड़ोसियों को संदेश दे दिया है। विधेयक पारित होने के बाद अवैध घुसपैठ रोकने में तो मदद मिलेगी ही, जाली कागजात के जरिए किसी भी राज्य में छिप कर रहने वाले विदेशी नागरिकों पर कड़ा अंकुश लगाया जा सकेगा। भारत में अवैध रूप से रहने से उन्हें हतोत्साहित किया सकेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रहता है खतरा
हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी को देश में आने से रोकने के लिए यह विधेयक नहीं लाया गया है। स्वाभाविक रूप से हर देश यही चाहता है कि कोई भी विदेशी नागरिक वैध दस्तावेज के साथ आए और नियमों का पालन करे। वैसे भी किसी विदेशी को अपने यहां आने या न आने देना संबंधित देश का संप्रभु अधिकार होता है।
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भारत में इस समय अवैध आप्रवासियों की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। इनसे राष्ट्रीय सुरक्षा को तो खतरा रहता ही है, इनके कारण बुनियादी सुविधाओं पर भी बोझ बढ़ता है। इससे मूल स्थानीय निवासी प्राय: कई नागरिक सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। यह मुद्दा बार-बार उठता रहा है। इस पर दलगत राजनीति भी होती रही है।
आव्रजन अधिकारियों को अधिक शक्तियां मिलने से तत्काल हो सकेगी कार्रवाई
मगर यह मसला हमेशा उलझा रहा। अब बिना वीजा के रह रहे विदेशी नागरिकों को कानून के दायरे में लिया जा सकेगा। उन्हें सजा भी दी जा सकेगी। चार पुराने अधिनियमों को निरस्त कर बन रहा नया अधिनियम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण है। आव्रजन अधिकारियों को अधिक शक्तियां मिलने से तत्काल कार्रवाई हो सकेगी। अवैध आप्रवासियों से निपटना सरकार के लिए आसान हो जाएगा।
