प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शराब घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आठवीं बार समन भेजा है, मगर अब तक वे कोई न कोई वजह बता कर उसके सामने पेश होने से बचते रहे हैं। अब उनका कहना है कि अगर अदालत इस संबंध में आदेश देगी तभी वे प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होंगे।
हालांकि यह समझना मुश्किल है कि किसी सरकारी एजंसी की ओर से इस तरह बार-बार समन भेजे जाने की अनदेखी करने की वजह क्या सिर्फ खुद को निर्दोष मानना है या फिर आंख-मिचौली जैसा कोई खेल है, जिसमें आखिरकार उनसे पूछताछ होनी ही है। अगर उन्हें लगता है कि ईडी बिना किसी ठोस आधार के उन्हें बुला रही है, तो समूचे मामले को पारदर्शी तरीके से उसके सामने रख देने में उन्हें क्यों हिचक हो रही है! फिर अगर आने वाले दिनों में अदालत ने उन्हें ईडी के सामने पेश होने का आदेश दे दिया, तब उनके मौजूदा रुख को किस तरह देखा जाएगा?
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने सन 2021-22 के लिए आबकारी नीति के तहत जिन शराब व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए थे, उन पर इसके लिए रिश्वत देने का आरोप है। मनपसंद कारोबारियों को लाइसेंस जारी किए गए। हालांकि आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को गलत बताया है, लेकिन अगर उसके वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ऐसे ही आरोपों के तहत हुई पूछताछ के बाद जेल में हैं और मुकदमे का सामना कर रहे हैं तो उसका कोई न कोई ठोस आधार होगा!
शायद यही वजह है कि अब ईडी सरकार में सबसे अहम पद पर होने की वजह से अरविंद केजरीवाल को पेश होने के लिए कह रही है। अगर केजरीवाल को लगता है कि इस मामले में वे पूरी तरह पाक-साफ हैं तो पूछताछ से बचने के बजाय वे सारी तस्वीर सामने रख दे सकते हैं।
यह याद किया जा सकता है कि उनके मौजूदा राजनीतिक सफर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ने, आरोपों पर जवाब देने और उसमें पारदर्शिता बरतने की मांग की एक बड़ी भूमिका रही है। इसलिए अब अगर भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में उनसे पूरी तरह स्पष्टता और पारदर्शिता की उम्मीद की जा रही है, तो यह स्वाभाविक ही है।