प्रयागराज में इस बार के महाकुंभ में जितनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, इसकी संभावना पहले से थी। इसके समांतर सरकार की ओर से जिस पैमाने पर आयोजन और वहां की व्यवस्थाओं के बारे में प्रचार किया गया था, उसमें किसी बड़े हादसे की आशंका कम लोगों को रही होगी। मगर पिछले कुछ दिनों के भीतर वहां व्यापक पैमाने पर फैली अव्यवस्था और उसके नतीजे में दुर्घटना के उदाहरण सामने आए, वे हैरान करने वाले हैं।
वहां आम लोगों के लिए रात में टिकने से लेकर आस्था की डुबकी लगाने तक की स्थिति इतनी विकट थी कि बहुतों के लिए महाकुंभ एक दु:स्वप्न बन रहा था। इसी बीच मौनी अमावस्या के मौके पर हुई भगदड़ और उसमें कई लोगों की मौत मेले में अव्यवस्था के चरम उदाहण के रूप में सामने आई। इस तरह की बहुस्तरीय समस्याओं की जड़ में एक बड़ा कारण यह देखा गया कि मेले में पहुंचने वाले विशिष्ट या अति विशिष्ट लोगों के लिए कुछ विशेष व्यवस्थाएं की गई थीं। इसका असर स्वाभाविक रूप से वहां पहुंचे आम लोगों की गतिविधियों पर पड़ा और नतीजे में एक त्रासद घटना हुई।
सरकार ने इस पक्ष पर गौर करने में कर दी देर
अब देर से सही, उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक सख्त, लेकिन जरूरी फैसला किया है, जिसके तहत अमृत स्नान और सभी प्रमुख स्नान पर्वों के मौके पर विशिष्ट और अति विशिष्ट व्यक्तियों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस फैसले के बाद अब अमृत स्नाान के साथ-साथ प्रमुख स्नान पर्वों और इसके नजदीक की तिथियों पर प्रशासन की ओर से किसी भी तरह के ‘वीआइपी प्रोटोकाल’ लागू नहीं होंगे।
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यों मेले में कई स्तर पर जिस तरह की असुविधाएं पैदा हो रही थीं, उस संदर्भ में ऐसी शिकायतें आम थीं कि प्रशासनिक अमले का एक बड़ा हिस्सा अति विशिष्ट लोगों को निर्बाध तरीके से वहां आने और स्नान आदि के लिए सुविधाएं और सुरक्षा मुहैया कराने में लगा हुआ था। दूसरी ओर, इस वजह से श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती तादाद के मद्देनजर विशेष तिथि वाले स्नान पर्व के दिन व्यवस्था संबंधी समस्या पैदा होने की आशंका खड़ी हो रही थी। बेहद संवेदनशील स्थितियों को छोड़ दिया जाए. तो सभी विशिष्ट घोषित लोगों के लिए अलग से सुविधा मुहैया कराना ही अपने आप में समस्या पैदा होने की वजह हो सकती है। इसके बावजूद सरकार ने इस पक्ष पर गौर करने में देर कर दी।
महाकुंभ का आयोजन एक बड़ी जिम्मेदारी
महाकुंभ की अहमियत को देखते हुए इसका आयोजन एक बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन इसके साथ ही ज्यादा जरूरी यह है कि इस जिम्मेदारी को व्यवस्थागत मोर्चे पर पूरी संवेदनशीलता बरतते हुए कामयाबी के साथ पूरा किया जाए। विडंबना यह है कि हमारे देश में इस तरह के धार्मिक आयोजनों में भी विशिष्ट कोटि में माने जाने वाले व्यक्तियों को जो खास महत्त्व दिया जाता है, उसमें सरकारी तंत्र को विशेष इंतजाम करने पड़ते हैं। इससे वहां पहुंचे आम श्रद्धालुओं की सुविधाएं सिमटती हैं और इस क्रम में कई बार जो अव्यवस्था पैदा होती है, कई बार उसे संभालना मुश्किल हो जाता है।
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जबकि महाकुंभ जैसे मेले में साधारण लोगों को भी अपने लिए जगह और कद्र महसूस होनी चाहिए। प्रयागराज महाकुंभ में कुछ जगहों पर आग लगने से उपजे जोखिम, भगदड़ और उसमें श्रद्धालुओं की जान जाने की घटना यह रेखांकित करती है कि कुछ लोगों के लिए विशेष सुविधाओं के क्या नतीजे हो सकते हैं। अब विशिष्ट और अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिए नियम को लेकर उत्तर प्रदेश की सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है, लेकिन इसे पहले ही लिया जाना चाहिए था।