कुछ समय पहले हरी सब्जियों की कीमतों में आई नरमी की वजह से महंगाई से उपजी परेशानी से जो राहत दिखने लगी थी, अब वह फिर से सिर उठाने लगी है। बाजार में खुदरा वस्तुओं के दाम में तेजी ने कई लोगों की थाली पर असर डालना शुरू कर दिया है। यों खाने-पीने के सामान की कीमतों में आई उछाल ने बीते महीने ही लोगों को आने वाले दिनों के संकेत दे दिए थे।

‘क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिसिस’ की रिपोर्ट में खुलासा

‘क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिसिस’ की ताजा रपट के मुताबिक महंगाई की मार का ज्यादा असर शाकाहारी थाली पर पड़ा है। खासकर प्याज और टमाटर के दाम में सालाना आधार पर क्रमश: 29 फीसद और 38 फीसद की बढ़ोतरी हो गई। इसकी वजह से शाकाहारी थाली सात फीसद तक महंगी हो गई।

इस अवधि के दौरान मांसाहारी भोजन में कुछ कमी दर्ज की गई

स्वाभाविक ही कीमतों में इस बढ़ोतरी ने लोगों में इनके उपयोग को लेकर हिचक पैदा की है। चूंकि भोजन में प्याज और टमाटर की खासी भूमिका रहती है, इसलिए मांसाहारी थाली पर भी इसका असर पड़ा है। हालांकि इस अवधि के दौरान मांसाहारी भोजन में कुछ कमी दर्ज की गई।

दरअसल, आम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची होती हैं तो लोग उनकी खरीदारी को लेकर कई बार प्राथमिकता का निर्धारण करने लगते हैं। कम जरूरी चीजों की खरीदारी बाद के लिए टाल दी जाती है, मगर खाने-पीने सहित कुछ अनिवार्य चीजों की कीमतें कई बार घर के बजट को असंतुलित कर देती हैं। आमतौर पर शाकाहार के अभ्यस्त लोगों के खानपान में प्याज-टमाटर एक जरूरी हिस्सा होता है, जो उनकी थाली की सब्जियों में स्वाद भरता है। मगर इनके साथ-साथ अब अन्य हरी सब्जियों के दाम ने भी शाकाहार के सामने चुनौती पेश की है।

यों ठंड के मौसम में आमतौर पर हरी सब्जियों का उत्पादन और आपूर्ति ठीकठाक होने की वजह से बाजार में उसकी कीमतें भी काफी नरम रहती हैं। मगर इस वर्ष लगभग सभी हरी सब्जियों के दाम जिस स्तर पर स्थिर रहे, उसे इनका सस्ता होना नहीं कहा जा सकता। अगर खासी तादाद में लोग सब्जी खरीदते हुए हाथ खींचने लगते हैं, तब इसका मतलब है कि बाजार में कीमतों को लेकर सरकार को जरूरी कदम उठाने की जरूरत है।