देश के भीतर भी चुनौतियां बरकरार हैं और दूसरे देशों में मिल रहे विषाणु के नए-नए रूपों से भी खतरा बढ़ रहा है। पिछले दिनों अंगोला, तंजानिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत पहुंचे चार लोगों में कोरोना विषाणु का नया रूप मिला था। ब्राजील से आए एक शख्स में भी विषाणु का एक और नया स्वरूप पाया गया।

इससे पहले दिसंबर में ब्रिटेन से आए लोगों में पहली बार कोरोना विषाणु के नए प्रकार के बारे में परदा उठा था। संकट तब गहराया जब भारत पहुंचे ये लोग बिना जांच के दूसरे शहरों में पहुंच गए। कहा नहीं जा सकता कि इन लोगों के जरिए कितने लोग संक्रमित हुए होंगे। ब्रिटेन से ऐसे करीब दो सौ लोग भारत पहुंचे थे। वैज्ञानिक और चिकित्सक पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना का विषाणु अपने रूप बदलता रहता है और किसी भी देश में इसके नए रूप देखने को मिल जाएं तो इसमें आश्चर्य नहीं, साथ ही ये कम या ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में सतर्कता और ज्यादा जरूरी हो जाती है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना संक्रमण कब, कहां और किस रूप में आबादी को अपना शिकार बना ले। महाराष्ट्र और केरल में जिस तेजी से मामले बढ़ने लगे हैं, उससे तो लग रहा है कि जरा-सी लापरवाही भी देश को फिर से गंभीर संकट में धकेल देगी। केरल और महाराष्ट्र को छोड़ दें तो देश के ज्यादातर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हालात अब काबू में हैं और कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी शून्य हो चुका है।

इनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु सहित उत्तर पूर्व के राज्य भी शामिल हैं जहां संक्रमण सबसे ज्यादा फैला था। पर पिछले एक हफ्ते के दौरान महाराष्ट्र में रोजाना तीन हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। मुंबई में तो अब लोकल ट्रेन सेवा चालू हो चुकी है। जाहिर है, भीड़ पहले की तरह बढ़ गई है। ऐसे में खतरे को बढ़ने से रोक पाना आसान नहीं है।

महाराष्ट्र और केरल के हालात का जायजा लेने गए केंद्रीय दल ने अपनी रिपोर्ट में इन राज्यों में बरती जा रही लापरवाही की ओर इशारा किया है। दल ने यह भी कहा कि संक्रमण के मामलों का पता लगाने के लिए सरकारें बड़े पैमाने पर आरटीपीसीआर जांच नहीं करवा रहीं। हालांकि इन दोनों राज्यों में संक्रमण फैलने का एक कारण विषाणु का बदलता रूप भी हो सकता है, पर फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे में आरटीपीसीआर जांच आवश्यक हो जाती है और इसे नजरअंदाज करना सभी के लिए भारी पड़ सकता है।

भारत ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिस तरह के सतत प्रयास किए, उन्हीं का परिणाम है कि हमें आज ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका जैसे दिन नहीं देखने पड़े। वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत से जल्द स्वदेशी टीका भी आ गया और देश में टीकाकरण का अभियान शुरू हो गया। ऐसे में अगर लोग लापरवाही दिखाने लगेंगे तो संक्रमण फैलने में वक्त नहीं लगेगा। शुरू से इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता रहा है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के मास्क और सुरक्षित दूरी सहित सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। टीका अपनी जगह काम करेगा और बचाव संबंधी उपाय अपनी जगह।