सीमा पर उकसावे वाली हरकतें करना एक तरह से पाकिस्तान की फितरत बन गई है। वह बिना कारण के भी भारत की ओर गोलीबारी करना शुरू कर देता है। यह न केवल भारत के खिलाफ उसकी मंशा का सबूत है, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों की उसे कोई परवाह नहीं है।
गौरतलब है कि गुरुवार की रात को जम्मू के अरनिया और सुचेतगढ़ सेक्टर में पाकिस्तान ने मनमाने तरीके से युद्ध विराम का उल्लंघन किया। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रात करीब आठ बजे पाकिस्तानी रेंजरों ने भारत की पांच चौकियों पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी, जो सात घंटों तक चलती रही।
हालांकि भारत के सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन इस बीच एक स्थानीय निवासी महिला और बीएसएफ के एक जवान घायल हो गए। इस दौरान रिहाइशी इलाकों में भी मोर्टार दागे गए, जिससे कुछ घरों की दीवारें ढह गईं। हालांकि ऐसा करने की पाकिस्तान की आदत पुरानी है, लेकिन उसकी ताजा हरकत से फिर यही साफ होता है कि वह किसी खास मंशा से बेवजह भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है।
गौरतलब है कि बीते दस दिनों के भीतर पाकिस्तान की ओर से यह युद्ध विराम के उल्लंघन की यह दूसरी घटना है। इससे पहले भी इसी इलाके में पाकिस्तानी रेंजरों ने बिना वजह गोलीबारी की थी, जिसमें बीएसएफ के दो जवान घायल हो गए थे। 25 फरवरी, 2021 के बाद अब तक पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर सहित कई अन्य इलाकों में युद्ध विराम का उल्लंघन कर चुका है। पाकिस्तान की हताशा समझी जा सकती है।
दरअसल, उसकी ओर से गुरुवार को की गई गोलीबारी से कुछ ही घंटे पहले भारतीय सुरक्षा बलों ने लश्करे-तैयबा के पांच आतंकियों को मार गिराया था। ये आतंकी माछिल सेक्टर में भारत की सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। जाहिर है, आतंकियों की घुसपैठ की इस कोशिश के नाकाम हो जाने और उनके मारे जाने के बाद पाकिस्तानी सीमा पर मौजूद रेंजरों की छटपटाहट बढ़ गई और उसी क्रम में उन्होंने यह खयाल रखना भी जरूरी नहीं समझा कि उनकी इस हरकत का नतीजा क्या निकलेगा। दरअसल, बमबारी के जरिए वह भरतीय सुरक्षा बलों का ध्यान बंटा कर आतंकियों की घुसपैठ कराना चाहता था।
सवाल है कि अगर भारत इसे बिना किसी कारण के युद्ध के लिए उकसाने की कार्रवाई बताए, तब इसे कैसे महज एक प्रतिक्रिया कहा जाएगा! विचित्र है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आए दिन पाकिस्तान खुद को एक पीड़ित के रूप में पेश करता और भारत पर निराधार आरोप लगाता रहता है। हालांकि उसकी ओर से ताजा बमबारी जैसी उकसावे वाली गतिविधियों के बारे में दुनिया के ज्यादातर जिम्मेदार देश समझते हैं और यही वजह है कि अब उसके रोने-धोने को गंभीरता से नहीं लिया जाता। संयुक्त राष्ट्र भी ऐसी हरकतों के खिलाफ चेतावनी जारी कर चुका है।
मगर यह समझना मुश्किल है कि भारत के साथ घोषित युद्ध विराम के बावजूद पाकिस्तान को इसका खयाल रखने की जरूरत क्यों नहीं महसूस होती है। पहले ही उस पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि लश्करे-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कई आतंकी संगठन पाकिस्तान स्थित ठिकानों से भारत में अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं। कई स्तर पर खुद आम पाकिस्तानी लोग भी आतंकवादी संगठनों के आत्मघाती हमलों का शिकार होते रहे हैं। फिर भी पाकिस्तानी शासकों को अपनी आदत में सुधार लाना जरूरी नहीं लगता।