इसका ताजा उदाहरण वहां के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमला है। सब जानते हैं कि सेना प्रमुख से इमरान खान का मनमुटाव होने वजह से उनकी सरकार पलट दी गई थी। इस समय वे सत्ता के खिलाफ देश में विरोध मार्च निकाले हुए हैं। यह बात वहां के सेनाधिकारियों और खुफिया एजेंसी आइएसआइ को बुरी तरह खटक रही थी। बताया जा रहा है कि यह हमला उन्हीं के इशारे पर हुआ।

गनीमत है कि गोली इमरान खान के पैर में लगी और वे बच गए। जिस व्यक्ति ने गोली चलाई, वह उनके काफिले के साथ चल रहा था और उनके वाहन के करीब से अत्याधुनिक स्वचालित हथियार से गोली दागी। हालांकि यह समझना मुश्किल है कि उस काफिले की सुरक्षा व्यवस्था में इस तरह की खामी कैसे रखी गई कि कोई हथियारबंद आदमी पूर्व प्रधानमंत्री के वाहन के करीब तक पहुंच गया। पाकिस्तान अपने एक प्रधानमंत्री को ऐसी ही स्थितियों में खो चुका है, फिर भी उससे सबक लेना क्यों जरूरी नहीं समझा गया।

मगर यह ज्यादा हैरानी का विषय इसलिए नहीं है कि जिन लोगों पर इमरान खान की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, जब वही उनसे असहज महसूस कर रहे हैं, तो किसी हमलावर का उनके काफिले में घुस जाना कोई मुश्किल काम नहीं हो सकता। दरअसल, इमरान खान अब तक के प्रधानमंत्रियों से अलग मिजाज के व्यक्ति हैं।

अब तक वहां के प्रधानमंत्री एक तरह से सेना और आइएसआइ के इशारे पर चलते रहे हैं। वहां की सेना किस कदर ताकतवर है, यह सब जानते हैं। वह वहां की समांतर सत्ता की तरह काम करती है। जो प्रधानमंत्री उसके विरुद्ध जाने का प्रयास करता है, उसका तख्ता पलट करने में भी देर नहीं लगाती। मगर इमरान खान ने अनेक मौकों पर सेना की सलाह मानने से इनकार कर दिया, जिसकी वजह से सेनाध्यक्ष और उनके बीच तल्खी बनी रही।

दरअसल, इमरान खान पाकिस्तान की तरक्की के लिए योजनाएं बना रहे थे और इस क्रम में वे उन देशों से भी रिश्ते बेहतर करने का प्रयास कर रहे थे, जिनसे कड़वाहट बनी रहती है। पाकिस्तानी सेना चूंकि अपनी सत्ता इसीलिए कायम रखे हुए है कि वह हर समय हिंदुस्तान से जंग का माहौल बनाए रखती है। यह माहौल वहां के हुक्मरानों को भी रास आता है, क्योंकि इससे उन्हें देश की बदहाली की तरफ देखने का मौका नहीं मिल पाता।

इमरान खान देश के बुनियादी ढांचे को बदलना चाहते थे। इस तरह सेना की ताकत कम होती। इसीलिए इमरान खान की सरकार गिरा दी गई। अब जब उन्होंने देश की अवाम को सत्ता और सेना की हकीकत बताने के मकसद से विरोध मार्च निकाला, तो बताया जा रहा है कि उन्हें रास्ते से ही हटा देने की योजना बनाई गई।

हालांकि हमलावर गिरफ्तार हो चुका है और उसका कहना है कि इमरान खान की बातों से वह परेशान हो उठा था। मगर दुनिया के सामने एक बार फिर वहां के निजाम की हकीकत खुल चुकी है। पता नहीं वहां की सेना और खुफिया एजेंसी कब इस बात को समझ पाएगी कि आतंकवाद का यह भस्मासुर उसके सिर पर भी हाथ रख सकता है।