कोई भी व्यक्ति जानते-बूझते हुए ऐसी जीवन-शैली नहीं अपनाएगा, अपने खानपान में ऐसी लापरवाही नहीं बरतेगा, जिससे उसके भीतर कोई गंभीर रोग पलने लगे। लेकिन बीते कुछ दशकों में खासतौर पर शहरों-महानगरों में जिस तरह की जीवन-शैली ने अपनी जड़ें जमाई हैं, उसने लोगों को अपनी ओर आकर्षित तो किया है, लेकिन साथ ही बिना किसी हलचल के ऐसा असर किया, जो अब वैश्विक स्तर पर चिंता की वजह बन रहा है।

दरअसल, बाजार की चमक-दमक और दिखावे के बीच पलते और प्रभावित होते लोगों के खानपान में परंपरागत और प्राकृतिक वस्तुएं छूटती गईं और ऐसी चीजें शामिल होती गईं, जो कई तरह के जटिल रोगों की जड़ बनीं। इनमें मधुमेह पहले ही एक बड़ी समस्या के रूप में आम जनजीवन में पसर रहा था, अब इसी रोग की कड़ी में ‘टाइप 2 मधुमेह’ के बढ़ते मामले कई देशों में एक बड़ी चुनौती बन रहे हैं।

जाहिर है, इसका मुख्य कारण भी खाने-पीने की चीजों में बरती जाने वाली लापरवाही है। जिन खाद्य वस्तुओं को लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरत मानते हैं, कई बार वही उनके शरीर में मीठा जहर बन कर पलने लगता है।

दरअसल, एक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक विश्लेषण में यह बताया गया है कि दुनिया भर में 2018 में टाइप 2 मधुमेह के एक करोड़ इकतालीस लाख से ज्यादा मामलों के पीछे खराब आहार एक प्रमुख कारण था। गौरतलब है कि दिनचर्या और खाद्य पदार्थों के मामले में लोग जिन चीजों को सहज मानते रहे हैं, उन्हीं का योगदान मधुमेह के पांव फैलाने में ज्यादा रहा है।

मसलन, बहुत कम लोग हैं जो साबुत अनाज का सेवन करते हैं। इसके बरक्स परिष्कृत चावल, गेहूं की अधिकता और प्रसंस्कृत मांस का सेवन जरूरत से ज्यादा करना आम बात रही है। अध्ययन में इसी बिंदु पर चिंता जाहिर करते हुए बताया गया है कि खराब कार्बोहाइड्रेट गुणवत्ता वाला आहार ‘टाइप 2 मधुमेह’ का विश्व स्तर पर एक प्रमुख कारक है।

इस अध्ययन में शामिल एक सौ चौरासी देशों में सभी ने 1990 और 2018 की लंबी अवधि में इस कोटि के मधुमेह के मामलों में बढ़ोतरी देखी। हालांकि भारत से संदर्भ में राहत की बात यह है कि फिलहाल यहां ‘टाइप 2 मधुमेह’ के सबसे कम मामले थे, मगर आम मधुमेह के मरीजों के मामले में यहां स्थिति काफी चिंताजनक रही है।

यह जगजाहिर रहा है कि अकेले मधुमेह के चलते शरीर के कई हिस्से प्रभावित होते हैं और कई बार ये मौत की वजह भी बनते हैं। 2019 में दुनिया भर में करीब बीस लाख लोगों की मौत का कारण मधुमेह और खराब गुर्दे थे। अब वैश्विक स्तर पर ‘टाइप 2 मधुमेह’ के बढ़ते मामले भी आम लोगों, परिवारों और देशों के भीतर स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर बोझ को दर्शाते हैं।

विडंबना यह है कि जीवनशैली और खानपान से जुड़े ऐसे रोगों के कारणों की पहचान होने के बावजूद खाने-पीने की चीजों को लेकर सजगता का वह स्तर अभी नहीं है। हालांकि कुछ जगहों पर आहार में लाल मांस, प्रसंस्कृत मांस और आलू जैसी कुछ अन्य चीजें सामान्य हैं, लेकिन वही अब वहां ‘टाइप 2 मधुमेह’ का एक बड़ा कारण बन रहे हैं।

साबुत अनाज के सेवन के साथ-साथ खानपान के मामले में कुछ अन्य प्राकृतिक विकल्पों का रास्ता अपनाकर इस तरह की बीमारियों की चपेट में आने से बचा सकता है, लेकिन इन तथ्यों को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं दिखती है। इसके उलट लोग बाजार और विज्ञापनों से प्रभावित होकर कई ऐसी चीजों को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर लेते हैं, जिनका खमियाजा उन्हें मधुमेह जैसे रोग का शिकार होने के रूप में उठाना पड़ता है।