रोजमर्रा की व्यस्तता से पैदा थकान, तनाव और ऊब को दूर करने के लिए व्यक्ति को कुछ मनोरंजक करना जरूरी होता है। चिकित्सक सलाह भी देते हैं कि अगर काम बोझ बन कर तनाव पैदा करने लगे तो व्यक्ति को मनोरंजन और खेल का सहारा लेना चाहिए। लेकिन ऐसा कम होता कि दफ्तरों में कर्मचारियों की मानसिक स्थिति को सहज रखने के लिए कोई विशेष नीति या उपाय हो। भारत में सरकारी कार्यालयों के बारे में आम धारणा है कि वहां कर्मचारियों के पास काम का बोझ या तनाव बहुत कम होता है। मगर यह पूरी तरह सच नहीं है। काम की अधिकता की वजह से कई बार सरकारी कार्यालयों में भी तनाव और अवसाद के हालात बन जाते हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने अब अपने सभी कर्मचारियों को रोमांचक खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करने का मन बनाया है, ताकि उनके बीच तनाव की खतरनाक स्थिति और लंबे समय तक बैठे रहने के कुप्रभावों से निपटा जा सके। सरकार का कहना है कि ऐसा करने से कर्मचारियों में जोखिम उठाने की हिम्मत आएगी और सामूहिक भावना से काम करने का विकास होगा। इसलिए कर्मचारियों के बीच पर्यावरण जागरूकता शिविर लगाने के साथ ही पर्वतारोहण, दुर्गम रास्तों पर साइकिल चालन, नौकायन आदि कई खेलों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार बीस हजार रुपए तक का भुगतान करेगी और कर्मचारियों को विशेष छुट्टी भी दी जाएगी।

हालांकि तनावमुक्त माहौल में सहजता से काम करना किसी भी ईमानदार कर्मचारी के लिए एक स्वाभाविक परिस्थिति होनी चाहिए। लेकिन पिछले कुछ दशकों में रोजगार की एक विचित्र अवधारणा यह बनी है कि निर्धारित समय तक कर्मचारी बिना राहत की सांस लिए अपनी ड्यूटी पूरी करे। ज्यादातर जगहों पर ऐसा होता भी है। मगर इससे मात्रा में काम के बेहतर नतीजे भले सामने आएं, उसकी गुणवत्ता धीरे-धीरे कम होने लगती है। लगातार काम के तनाव की वजह से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। ज्यादा दबाव में एक व्यक्ति प्रत्यक्ष तौर पर तो काम करता दिख सकता है, लेकिन इससे उपजा तनाव उसकी सहजता को बाधित करता है। इसका सीधा असर गुणवत्ता पर पड़ता है। इसके अलावा, हमारे शरीर के काम करने का तंत्र कुछ ऐसा है कि लगातार एक ही तरह का काम करना धीरे-धीरे ऊब पैदा करने लगता है।

जबकि किसी तरह के अवकाश में खेल या दूसरी गतिविधियों में हिस्सा लेकर लौटा व्यक्ति उसी काम को दोगुने उत्साह के साथ करने लगता है। ऐसे तमाम लोग हैं, जो उच्च अधिकारियों के दबाव के सामने तनाव वाली स्थितियों में लंबे समय तक एक जगह बैठे रह कर काम करते रहते हैं। यह न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से नुकसानदेह है, बल्कि इसका मानसिक स्थिति पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। जबकि अनेक अध्ययन बताते हैं कि काम के बीच अगर कर्मचारियों के मनोरंजन के लिए खेल या दूसरी गतिविधियों को शामिल किया जाए, तो उससे माहौल हल्का होता है और लोगों में काम के बोझ से उपजा तनाव कम होता है। यही वजह है कि विदेशों में जानी-मानी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए निर्धारित काम के साथ-साथ खेलकूद या मनोरंजन जैसे इंतजाम किए हैं। इससे उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिली है। इस लिहाज से काम की गुणवत्ता में विकास के मकसद से काम के हालात को भी मानवीय और रुचिकर बनाने का सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है।