दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर विशेष ध्यान देने और जमीनी स्तर पर काम करने का दावा लगातार करती रही है। पार्टी इन क्षेत्रों में किए गए कामों को एक आदर्श के रूप में प्रचारित करती रही है। मगर शिक्षा और स्वास्थ्य के ढांचे में सुधार की हकीकत अक्सर ऐसी खबरों के जरिए सामने आती रही है, जिनसे कई सवाल उठते हैं।
हाल ही में दिल्ली के कुछ अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति का मामला उठा। यह बेहद गंभीर इसलिए है कि किसी नकली दवा का दुष्प्रभाव भयावह नतीजे दे सकता है। यही वजह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआइ से कराने का आदेश दिया है।
इस मसले पर उठे विवाद के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल ने गृह मंत्रालय से मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। विचित्र है कि एक ओर दिल्ली के कुछ अस्पतालों में मरीजों के लिए नकली दवाएं भेजी जाती रहीं और दूसरी ओर सरकार स्वास्थ्य के मोर्चे पर बेहतरीन कामकाज का हवाला देती रही।
इसके अलावा, पिछले वर्ष यह मामला भी सुर्खियों में आया था कि दिल्ली सरकार के बहुप्रचारित मोहल्ला क्लीनिकों में चिकित्सक नहीं आते, मगर उनकी उपस्थिति दिखाई जा रही थी। साथ ही, निजी प्रयोगशालाओं को लाभ पहुंचाने के मकसद से मरीजों को फर्जी जांच परामर्श दिए जा रहे थे। बाद में यह पहलू भी सामने आया कि फर्जी मरीजों पर परीक्षण किए गए।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस क्रम में बिना विस्तृत जानकारी दिए जिन लोगों का परीक्षण किया गया होगा, उनकी सेहत के साथ किस स्तर का खिलवाड़ हुआ। इस मामले में भी उपराज्यपाल ने सीबीआइ जांच का आदेश जारी किया है। सवाल है कि आमतौर पर देश में अन्य पार्टियों की सरकारों को कथनी और करनी के स्तर पर अलग होने के लिए उन पर अंगुली उठाने वाली आम आदमी पार्टी की सत्ता में इस तरह की लगातार गड़बड़ियां क्यों सामने आ रही हैं!
अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति और रोगियों पर परीक्षण किसी आर्थिक गड़बड़ी के समांतर ज्यादा गंभीर भ्रष्टाचार है, जिसके शिकार हुए लोग या तो पहले से ज्यादा जटिल रोग का शिकार हो सकते हैं या फिर उनकी जान भी जा सकती है। इन तथ्यों के जगजाहिर होने के बावजूद आखिर सरकार का तंत्र कैसे काम कर रहा है कि अस्पतालों में दवा की आपूर्ति करने वाला कोई गिरोह नकली दवाएं भेज देता है या फिर किसी रोगी को गलत तरीके से परीक्षण की आंच में झोंक देता है।
जब दावा करने का वक्त आता है तो आम आदमी पार्टी के कर्ताधर्ता हर महकमे में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न करने की दुहाई देते हैं। अगर इसमें कोई सच्चाई है, तो मरीजों की सेहत और जान पर जोखिम के पक्ष को ताक पर रख कर कुछ भ्रष्ट लोग कैसे अपनी मनमानी करने में कामयाब हो जाते हैं? कोई भी मरीज अपनी बीमारी ठीक होने या जान बचाने की उम्मीद से अस्पताल पहुंचता है, लेकिन अगर इलाज के नाम पर उसे नकली और प्रयोगात्मक दवाएं दी जाती हैं या फिर उसे अंधेरे में रख कर कोई परीक्षण किया जाता है तो निश्चित रूप से यह बेहद खतरनाक और कई स्थितियों में जानलेवा भी है। यह आम आदमी पार्टी की सरकार के कामकाज के दावे और हकीकत के बीच बड़ी फांक को दर्शाता है।