अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सुरक्षित वापसी वैज्ञानिक उपलब्धि है ही, इससे भावी अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं और नई राहें खुलने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में नौ महीने रहने के दौरान सुनीता ने न तो अपना हौसला खोया और न ही अपना समय गंवाया। पूरे आत्मविश्वास के साथ वहां वे कार्य करती रहीं। किसी न किसी दिन उन्हें लौटना है, इस विश्वास के साथ सदैव सकारात्मक रहीं।
एक बार तो उन्होंने कहा भी कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। वैसे भी वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री सभी जोखिमों के लिए तैयार रहते हैं। जाहिर है कि सुनीता भी इसके लिए तैयार थीं। वे अंतरिक्ष में परीक्षण उड़ान पर गई थीं। आठ दिन बाद उन्हें लौटना था। तब यह नहीं पता था कि वापसी के समय स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी आ जाएगी।
नौ महीने अंतरिक्ष में रहने का बनाया कीर्तिमान
अंतरिक्ष केंद्र में रहने के दौरान न केवल उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा, बल्कि कई अनुसंधान और प्रयोग भी किए। नौ महीने अंतरिक्ष में रहने का कीर्तिमान भी बनाया। इस बीच अंतरिक्ष यात्रियों को लाने के लिए नासा ने पूरी ताकत लगा दी थी। तकनीकी दिक्कतें इतनी थीं कि अभियान अधूरा होता लग रहा था। मगर स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल की मदद से सुनीता और बुच विल्मोर के साथ निक हेग और अलेक्जेंडर गोरबुनोव को भी फ्लोरिडा के तट पर उतार लिया गया।
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यह पहली बार है जब कोई अंतरिक्ष मिशन इतना लंबा खिंचा। जून 2024 में बोइंग के स्टारलाइनर से दोनों अंतरिक्ष यात्री गए थे। वहां अटक जाने के बाद सुनीता और विल्मोर अंतरिक्ष केंद्र के पूर्णकालिक सदस्य की तरह हो गए थे। इस दौरान सुनीता ने कई कीर्तिमान अपने नाम किए। अंतरिक्ष में फंसे रहने पर उन्होंने कभी कोई शिकायत नहीं की।
करोड़ों लोग सुनीता की कुशलता के लिए करते रहे प्रार्थना
मगर इस दौरान उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े रहे करोड़ों लोग उनकी कुशलता के लिए प्रार्थना करते रहे। अब उनके लौट आने के बाद वैज्ञानिक अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के प्रभावों का गहन अध्ययन कर सकेंगे। भविष्य में मंगल और चांद पर जाने और वहां मनुष्यों के रहने की संभावनाएं तलाशी जा सकेंगी। आखिरकार नए अनुभवों से साक्षात्कार का ही नाम विज्ञान है।