सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के मकसद से यातायात नियमों को और सख्त बनाने के सुझाव काफी समय से दिए जाते रहे हैं। इसके मद्देनजर सरकार ने कुछ बदलाव किए भी, पर उनका अपेक्षित असर नजर नहीं आया। इसलिए अभिनेता सलमान खान के नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए लोगों को कुचल कर भाग निकलने के मामले में मुआवजा बढ़ाने के मसले पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने केंद्र को लापरवाही से वाहन चलाने से जुड़ी दंड संहिता की धाराओं में बदलाव का सुझाव दिया था।
इस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि वह जल्दी ही इन कानूनों में बदलाव करने जा रही है। शराब पीकर गाड़ी चलाने को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। नशे में वाहन चलाने वालों के लिए फिलहाल छह महीने के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह नशे में गाड़ी चलाते हुए किसी को कुचल देने पर अधिकतम दो साल की कैद और जुर्माने या फिर दोनों में से कोई एक सजा देने का कानून है। अक्सर सक्षम लोग जुर्माना भर कर अपने दोष से मुक्ति पा लेते हैं। पिछले कुछ सालों के अनुभवों को देखते हुए ये प्रावधान पर्याप्त नहीं जान पड़ते। नशे की हालत में वाहन चलाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं। सड़क हादसों में दुनिया में भारत पहले नंबर पर है।
अदालत ने कहा है कि नशे की हालत में गाड़ी चलाता हुआ व्यक्ति एक तरह से अपने शरीर में बम बांध कर निकलने वाले फिदायीन की तरह है। वह दूसरों के लिए भी खतरा है और अपने लिए भी। हालांकि महानगरों में शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाते हैं, इस जुर्म में हर साल बहुत-से लोगों को जेल की सजा भी सुनाई जाती है, लगातार जनजागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।
फिर भी लोग सतर्क-सचेत नहीं हो पा रहे, तो इसमें सिर्फ कानून की कमजोरी नहीं कही जा सकती। महानगरों में शराब पीकर खुलेआम सड़कों पर मौज-मस्ती करने का चलन बढ़ता जा रहा है। इस पर अंकुश लगाना सरकार के साथ-साथ समाज का भी दायित्व है। मगर इस मसले पर नागरिक-बोध कमजोर नजर आने लगा है तो, आखिरकार कानून को ही आगे आना होगा। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जुर्माने और सजा का प्रावधान कड़ा न होने के कारण बहुत-से लोगों को इसका खौफ नहीं रहता।
कैद की अवधि और मुआवजे की रकम अधिक रखे जाने से यह उम्मीद की जा सकती है कि शायद लोगों में नियम-कायदों को पहले की बनिस्बत ज्यादा गंभीरता से लेने का रुझान विकसित हो। पर इस मामले में पुलिस की मुस्तैदी भी जरूरी है, क्योंकि अक्सर उसे सड़क दुर्घटनाओं और यातायात नियमों के उल्लंघन के मामलों में रिश्वत लेकर दोषी को छोड़ते देखा जाता है। सख्त कानून बनाने की सार्थकता तभी होगी जब उसका पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
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