भारत में कोरोना संक्रमण क्या सामुदायिक प्रसार के चरण में पहुंच चुका है? भले इस सवाल पर महामारी विशेषज्ञ और सरकार एकमत न हो पा रहे हों, लेकिन देश में कोरोना संक्रमण के मामले जिस भयावह तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे तो यही लग रहा है कि अब हम सामुदायिक संक्रमण के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा ग्यारह लाख के पार निकल चुका है। ज्यादा चिंताजनक यह है कि पिछले दो दिन में रोजाना चालीस हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
जाहिर है, आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ेगा और कहा नहीं जा सकता कि कहां जाकर रुकेगा। हालांकि इसके पीछे एक मोटा तर्क यही दिया जा रहा है कि कोरोना संक्रमितों की जांच में तेजी आने से मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन इस हकीकत कैसे इनकार किया जा सकता है कि कोरोना संक्रमण अब ज्यादा तेजी से फैल रहा है और सामुदायिक संक्रमण के हालात बन गए हैं।
कहने को ग्यारह में सात लाख मरीज ठीक भी हो चुके हैं, लेकिन एक दिन में चालीस हजार से ज्यादा नए मामलों का सामने आना बड़े खतरे की घंटी है। दुनिया में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरे स्थान पर है, जहां कोरोना महामारी का प्रकोप थमने के बजाय फैलता जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ेगा, संक्रमितों की तादाद भी बढ़ेगी। हाल में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने तो बाकायदा बयान जारी कर कहा भी है कि भारत में कोरोना सामुदायिक प्रसार का रूप ले चुका है।
केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िशा, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्थिति दिनों-दिन गंभीर रूप लेती जा रही है। इसलिए कई राज्यों ने तो अपने यहां फिर से आंशिक या पूर्ण बंदी का कदम उठाया है। सामुदायिक संक्रमण को लेकर सबसे बड़ा खतरा ग्रामीण इलाकों में खड़ा हो गया है, जहां अभी जांच दल पहुंचे भी नहीं हैं। ऐसे में राज्यों को अब ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
यह विडंबना ही है कि कोरोना के सामुदायिक संक्रमण के चरण में पहुंचने को लेकर सरकार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और महामारी विशेषज्ञों के बीच एकराय नहीं बन पाई है। केंद्र सरकार हाल तक इस बात से इनकार करती आई है कि देश में अभी सामुदायिक संक्रमण के हालात नहीं हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी हाल में कहा कि देश के अस्सी फीसद मामले सिमट कर उनचास जिलों तक रह गए हैं। तो सवाल है फिर मामले बढ़ कहां और क्यों रहे हैं। केरल, कर्नाटक जैसे राज्यों ने यह स्वीकार कर लिया है कि उनके यहां संक्रमण सामुदायिक चरण में पहुंच चुका है।
दिल्ली को लेकर भी ऐसी ही बातें सामने आई थीं। विशेषज्ञों का एक दल प्रधानमंत्री को जून के पहले हफ्ते में रिपोर्ट सौंप चुका था, जिसमें साफ कहा गया था कि मध्यम और घनी आबादी वाले इलाकों में सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका है। इसका बड़ा कारण चौथे चरण में दी गई छूट को बताया गया था। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि हालात से निपटने के लिए महामारी विशेषज्ञों की सलाह ली जाती तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। इसी रिपोर्ट में यह भी साफ कहा गया है कि देश के कई हिस्सों में सामुदायिक प्रसार पहले ही शुरू हो चुका था। अगर ऐसा है तो इस हकीकत को दबाया गया। महामारी से लड़ने और लोगों को हकीकत बताने के लिए कोरोना के सामुदायिक प्रसार पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, ताकि लोग किसी भ्रम में न रहें और अपने स्तर पर पूरा एहतियात बरतें।