बंगलुरु के कैफे में हुए बम विस्फोट से एक बार फिर सुरक्षा इंतजामों में अधिक कड़ाई की जरूरत रेखांकित हुई है। हालांकि घटना के बाद प्रशासन तुरंत सक्रिय हो गया और उसने दोषी को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया। गनीमत थी कि विस्फोटक हल्की तीव्रता का था और उसमें ज्यादा बड़ा नुकसान नहीं हुआ। उसमें दस लोग घायल हो गए। पता चला है कि शुक्रवार की दोपहर एक युवक बैग लेकर कैफे में घुसा और कुछ भोजन का आदेश देने के बाद बैग वहीं छोड़ कर चला गया। उसके कुछ देर बाद ही धमाका हो गया। सीसीटीवी कैमरे में उस युवक की तस्वीर कैद हो गई है। पुलिस अभी इस घटना को आतंकवादी साजिश मानने से इनकार कर रही है। गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।

14 महीने पहले मंगलुरु में प्रेशर कूकर विस्फोट हुआ था

हालांकि पुलिस इस विस्फोट का अध्ययन करीब चौदह महीने पहले मंगलुरु में इसी तरह एक प्रेशर कुकर में हुए विस्फोट से जोड़ कर करने का प्रयास कर रही है। मगर यह सवाल अभी तक अनुत्तरित है कि अगर इस विस्फोट के पीछे किसी आतंकवादी संगठन का हाथ नहीं है, तो आखिर वहां किस तरह के अपराधी संगठन सक्रिय हैं, जो बंगलुरु में दहशत पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

कर्नाटक सरकार के लिए यह विस्फोट चुनौती की तरह है

बंगलुरु कर्नाटक की राजधानी है और वहां अनेक देशी-विदेशी साफ्वेटयर कंपनियों के मुख्यालय और शैक्षणिक संस्थान भी हैं। किसी व्यावसायिक शहर में इस तरह विस्फोट की घटनाओं से वहां के कारोबारियों के मनोबल पर बुरा असर पड़ता है। खासकर विदेशी कंपनियां ऐसी असुरक्षित जगहों पर अपना कारोबार चलाना ठीक नहीं मानतीं। इसलिए भी कर्नाटक सरकार के लिए यह विस्फोट एक चुनौती की तरह हुआ है। स्वाभाविक ही इस घटना के बाद बंगलुरु की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

हालांकि ज्यादातर सार्वजनिक स्थानों पर अब सुरक्षा की दृष्टि से जांच के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। थैले आदि की विशेष रूप से जांच की जाती है। इस तरह ऐसी जगहों पर बैग वगैरह में विस्फोटक छिपा कर ले जाना और अपनी साजिशों को अंजाम देना अपराधियों के लिए आसान नहीं होता है। मगर जिस कैफे में विस्फोट हुआ, वह एक छोटी-सी जगह है, इसलिए वहां जांच के ऐसे उपकरण इस्तेमाल नहीं होते रहे होंगे। शहरों में ऐसी अनेक छोटी-छोटी जगहें होती हैं, जिनमें बीस-पचास लोगों के बैठने और नाश्ता-भोजन आदि की व्यवस्था होती है। ऐसी जगहों पर प्राय: मशीनों से लोगों और चीजों की जांच के इंतजाम नहीं किए जाते। उसी का फायदा बंगलुरु विस्फोट के अपराधी ने उठाया।

आतंकवादी गतिविधियों से सबसे अधिक खतरा ऐसी ही जगहों पर होता है, जहां भीड़भाड़ अधिक रहती है और बाजार में जांच आदि के पुख्ता इंतजाम नहीं होते। आतंकवादियों और शरारती तत्त्वों के लिए ऐसी जगहों पर अपनी साजिशों को अंजाम देना और कम विस्फोटक के जरिए अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना आसान होता है।

यह ठीक है कि हर छोटी-छोटी दुकान का मालिक ग्राहकों और उनकी वस्तुओं की जांच की व्यवस्था नहीं कर सकता, मगर ऐसे इलाकों के प्रवेश द्वारों पर सरकार की तरफ से जांच के इंतजाम तो किए ही जा सकते हैं। हालांकि अक्सर देखा गया है कि जिन जगहों पर ऐसे इंतजाम हैं भी वहां जांच उपकरण ठीक ढंग से काम नहीं करते। बंगलुरु की घटना एक तरह से देश के सभी संवेदनशील शहरों में सुरक्षा इंतजाम को लेकर चेतावनी की घंटी है।