बिजली से चलने वाले वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार ने खरीदारों को पथ कर और पंजीकरण शुल्क से मुक्ति दे दी है। सरकार ने दो महीने पहले ई-वाहन नीति जारी की थी और यह वादा किया गया था कि ई-वाहनों की खरीद को प्रोत्साहन देने के लिए वह रियायतें देगी। इसी घोषणा को अब पूरा करते हुए पथ कर और पंजीकरण से छूट दी गई है। राजधानी को पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों से मुक्ति दिलाने की दिशा में सरकार का यह बड़ा और सराहनीय कदम है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि लाखों पेट्रोल-डीजल वाहनों को हटाना और बिजली वाहनों की खरीद को बढ़ावा देना एक बड़ी और जटिल कवायद है। लेकिन सरकार और नागरिक दोनों समस्या की गंभीरता को समझें और सरकार बिजली वाहन खरीद पर कर संबंधी छूट दे तो यह काम आसानी से हो सकता है। इससे प्रोत्साहित होकर लोग पुरानी गाड़ियों को निकाल कर बिजली वाहन खरीदने को प्राथमिकता देंगे और तभी दिल्ली को ई-वाहनों की राजधानी का सपना साकार हो सकेगा।
दिल्ली सहित भारत के कई शहर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण डीजल और पेट्रोल वाहनों से निकलने वाला धुआं है। राजधानी दिल्ली की हालत तो किसी से छिपी नहीं है। इसीलिए दिल्ली सरकार ने पिछले साल दिसंबर में ई-वाहन नीति को हरी झंडी दी थी। इसी नीति के तहत दिल्ली सरकार पहले एक-एक हजार दुपहिया वाहनों, ई-आटो रिक्शा और माल ढुलाई वाले वाहनों की खरीद पर तीस-तीस हजार रुपए का अनुदान देने जैसे कदम उठाए।
पहले एक हजार ई-कारों के खरीदारों के लिए इस अनुदान की राशि डेढ़ लाख रुपए तक रखी गई। दिल्ली सरकार का लक्ष्य 2024 तक राजधानी की सड़कों पर पच्चीस फीसद बिजली के वाहन लाने का है। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के लिए भी सरकार ने कुल बसों में पचास फीसद बिजली से चलने वाली बसें खरीदने का फैसला किया है। दिल्ली और दिल्लीवासियों को प्रदूषण से राहत दिलाने का पहला और एकमात्र उपाय यही है कि पेट्रोल-डीजल वाहनों से छुटकारा दिलाया जाए।
भारत में ई-वाहन उद्योग के विकास में अभी व्यावहारिक कठिनाइयां काफी हैं। कार निर्माता कंपनियों की दिलचस्पी ज्यादा नहीं है, इसलिए बिजली वाहनों का उत्पादन भी न्यून ही है। इनके महंगे होने की वजह से लोग इन्हें खरीदने में हिचकते हैं। इसलिए जरूरी है कि बिजली वाहन निर्माताओं को भी सरकार रियायतें दें और उन्हें प्रोत्साहित करे। साथ ही, राज्य सरकारें पथ कर और पंजीकरण शुल्कों में रियायत जैसे कदम उठाएं तो रास्ता और आसान हो सकता है।
फिर इन वाहनों के रखरखाव और बैटरी को चार्ज करने की समस्या भी लोगों के मन में संशय पैदा करती है। भले आज सीएनजी के वाहनों की संख्या बढ़ रही हो, लेकिन गैस भरवाने के लिए लोगों को कम परेशानी नहीं उठानी पड़ती। देश के सभी शहरों में सीएनजी की सुविधा है भी नहीं।
यही समस्या बिजली के वाहनों में बैटरी चार्ज करने को लेकर आएगी। इस मुश्किल को ध्यान में रखते हुए ही दिल्ली सरकार ने घरों में चार्जिंग पॉइंट लगाने और इसके लिए भी सरकार अनुदान देने जैसे कदम भी उठाए हैं। जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन बनाने का काम चल रहा है। बिजली के वाहन आज के वक्त की मांग भी हैं और मजबूरी भी। सिर्फ राजधानी दिल्ली ही नहीं, संपूर्ण देश में इन्हें बढ़ावा देने की नीति पर तेजी से काम होना चाहिए।