वादा: देश के सभी स्कूलों में शौचालय की सुविधा होनी चाहिए; वहां लड़कियों के लिए अलग शौचालय हों। यह लक्ष्य एक साल के भीतर पूरा होना चाहिए, ताकि अगले साल पंद्रह अगस्त को हम यह घोषणा करने की स्थिति में हों कि भारत में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा से रहित एक भी स्कूल नहीं है।

अमल: 4.19 लाख शौचालय बनाने के लक्ष्य के बरक्स मई के अंत तक 1.21 लाख शौचालय ही बन पाए थे। मानव संसाधन विकास मंत्री ने 4 अगस्त, 2015 को दावा किया कि 3.64 लाख शौचालयों का निर्माण हुआ। आॅडिट से ही पता चल सकता है कि इनमें से कितने शौचालय पानी की सुविधा से जुड़े हैं, कितनों की रोज सफाई होती है, कितने चालू हालत में हैं और रोज इस्तेमाल किए जाते हैं।
वादा: मैं देश के निर्धनतम नागरिकों को बैंक-खाते की सुविधा से जोड़ना चाहता हूं। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत ऐसे हर खाताधारक को एक लाख रुपए के बीमे की गारंटी होगी।

अमल: यूपीए सरकार के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का नया नाम जन धन योजना कर दिया गया। यूपीए के कार्यकाल में, मार्च 2014 तक, 24.3 करोड़ खाते खोले गए थे। फिर, 11 अगस्त, 2015 तक 17.29 करोड़ अतिरिक्त खाते खोले गए हैं। इनमें से करीब आधे खाते (46.91 फीसद) शून्य बैलेंस वाले और एकदम निष्क्रिय हैं, और इसलिए ऐसे खाताधारक संभवत: बीमा-सुविधा के हकदार नहीं होंगे या उन्हें आश्वासन के मुताबिक जमा से पांच हजार रुपया अधिक निकालने (ओवरड्राफ्ट) की सुविधा नहीं मिल पाएगी।

निर्णयकारी नेतृत्व, या बांटने वाली नीति
वादा: मैं देश के सभी लोगों से अपील करता हूं कि चाहे जातिवाद हो, संप्रदायवाद हो, क्षेत्रवाद हो, या सामाजिक-आर्थिक भेदभाव हों, हम ऐसी गतिविधियों पर कम से कम दस साल के लिए रोक लगा दें।
अमल: इस बीच संप्रदायवादी और वैमनस्यकारी ताकतें अधिक उद्धत और अधिक मुखर हुई हैं। ‘घर वापसी’ और ‘लव जेहाद’ जैसी गतिविधियां, इस पर पाबंदी-उस पर पाबंदी (किताबें, गोमांस, जींस, चैनल, वेबसाइट्स) गिरजाघरों पर हमले, रोजगार और आवास मिलने में भेदभाव और नैतिकता की पहरेदारी जैसी घटनाएं संख्या में भी बढ़ी हैं और उनका दायरा भी फैला है। ऐसी घटनाओं की बाबत शायद ही किसी दोषी को दंडित किया गया है। वास्तव में ऐसे तत्त्वों को उस बहुसंख्यकवादी रुझान से बल ही मिला है जो आरएसएस और भाजपा से लेकर मोदी सरकार तक में व्याप्त है।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी से मई के बीच, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में, सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में चौबीस फीसद की बढ़ोतरी हुई (287 घटनाएं)। पिछले वर्ष समान अवधि में ऐसी 232 घटनाएं हुई थीं। सांप्रदायिक घटनाओं में मौत का आंकड़ा भी छब्बीस से तैंतालीस पर जा पहुंचा।

वादा: अगर हमें अपने देश के विकास को गति देनी है, तो ‘कौशल विकास’ और ‘कुशल भारत’ हमारा मिशन होना चाहिए।
अमल: राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, जो 2010 में शुरू हुआ था, उसे 14 जुलाई 2015 को फिर से शुरू किया गया! बाकी सब कुछ वही है- ‘स्टार’ योजना, कौशल परिषदें, प्रशिक्षण संस्थाएं, इनाम, और मुखिया।
आर्थिक मोर्चे पर चिंताजनक लक्षण
वादा: अगर हमें आयात और निर्यात के बीच संतुलन की तरफ बढ़ना है, तो मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत करना होगा। आइए, भारत में अपनी उत्पादन इकाइयां लगाइए। दुनिया के किसी भी देश में बेचिए, पर भारत में बनाइए।
अमल: सालाना आधार पर जून 2015 निर्यात में गिरावट का लगातार सातवां महीना था। सातवें महीने के दौरान निर्यात 14.11 फीसद सिकुड़ गया। भारतीय निर्यातकों के संघ ने चेताया है कि निर्यात में कहीं अधिक, यहां तक कि भारी गिरावट आ सकती है जो मंदी और छंटनी की तरफ ले जाएगी।
आर्थिक मोर्चे पर चिंतित करने वाली कुछ दूसरी बातें भी हैं। सालाना आधार पर बुनियादी (कोर) क्षेत्र की वृद्धि जून 2015 में तीन फीसद थी (जबकि जून 2014 में 8.7 फीसद)। गैर-खाद्य ऋण वृद्धि (13.5 फीसद के मुकाबले) 8.4 फीसद थी, पिछले बीस सालों में सबसे धीमी।

वादा: जल्दी ही हम योजना आयोग की जगह नई संस्था बनाएंगे- एक नया शरीर, नई आत्मा, नई सोच, नई दिशा, नया विश्वास देश को नई दिशा में ले जाने का। अमल: योजना आयोग को खत्म कर दिया गया। एक लंबे अरसे के बाद, उसकी जगह नीति आयोग वजूद में आया। योजना आयोग को राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों/ विभागों को योजना-राशि आबंटित करने समेत जो अधिकार हासिल थे उनसे यह महरूम है। मौजूदा पंचवर्षीय योजना 2017 में समाप्त होगी, पर यह साफ नहीं है कि इसके बाद कोई पंचवर्षीय योजना होगी या नहीं। अगर वैसी कोई योजना होगी, तो यह स्पष्ट नहीं है कि उसे कौन बनाएगा और कौन उसके लिए संसाधन आबंटित करेगा। चूंकि मैं यह शुक्रवार को लिख रहा हूं, मैं दूसरे स्वाधीनता-संबोधन तथा कुछ और वादों का उत्सुकता से इंतजार कर रहा हूं।