अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष उद्योग विकास की राह पर है। साथ ही, ओजोन परत का क्षरण वर्तमान समय की सबसे प्रमुख पर्यावरणीय चिंताओं में से एक बन गया है। ओजोन परत क्षरण ने पराबैंगनी विकिरण के जोखिम में वृद्धि और स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु पर इसके प्रभावों के बारे में चिंताएं पैदा की हैं। ओजोन परत प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली गैस की सुरक्षात्मक परत है जो पृथ्वी की सतह से लगभग 10-50 किलोमीटर ऊपर पाई जाती है।

यह हमें हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से बचाती है। शोध से पता चला है कि राकेट प्रक्षेपण में वृद्धि होने से ओजोन परत को नुकसान पहुंचेगा। हर साल दुनिया भर में सैकड़ों राकेट प्रक्षेपित किए जाते हैं, जिनमें से कई वाणिज्यिक कंपनियों और राष्ट्र-राज्य अंतरिक्ष कार्यक्रमों के तहत अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं। ये लगभग 20 जगहों पर प्रक्षेपित किए जाते हैं। सभी उत्तरी गोलार्ध में हैं और वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रक्षेपण दर अमेरिका, चीन, न्यूजीलैंड और रूस से हैं।

अधिक राकेट प्रक्षेपण करने से समस्याएं पैदा होने की चिंता

पूरी दुनिया में चिंता जताई जा रही है कि अधिक राकेट प्रक्षेपण करने से समस्याएं पैदा होने लगेंगी। माना जा रहा है कि एक बार जब दरें प्रति वर्ष दो हजार प्रक्षेपण तक पहुंच जाएंगी, तो ओजोन परत में हो रहा सुधार धीमा पड़ जाएगा। प्रक्षेपण का यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दस गुना ज्यादा है। यह तो स्पष्ट है कि विभिन्न देशों द्वारा किए जा रहे प्रक्षेपण से ओजोन परत पर असर हुआ है।

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ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन को हानिकारक सौर पराबैंगनी (यूवी) किरणों से बचाती है। पिछली सदी में उत्सर्जित क्लोरोफ्लोरोकार्बन और अन्य हानिकारक रसायनों के प्रभावों से ओजोन परत में छीजन तेज हो गया था। अब इसमें सुधार है। मांट्रियल प्रोटोकाल के तहत वैश्विक सहकारी समझौतों की बदौलत यह संभव हो सका।

राकेट प्रक्षेपण के सुधारों पर फिर रहा पानी

अब राकेट प्रक्षेपण बढ़ने से सुधारों पर पानी फिर रहा है। इस वृद्धि का एक कारण पृथ्वी की कक्षा में कम ऊंचाई पर स्थित हजारों इकाइयों के उपग्रह समूह बनाने की योजना को लेकर चल रहा प्रयास है। इसके लिए कई प्रक्षेपणों की आवश्यकता होती है और यह कई देशों में हो रहा है, जिन्हें कई कंपनियां संचालित कर रही हैं। यह पता लगाने के लिए कि भविष्य में प्रक्षेपण ओजोन परत को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, वैज्ञानिकों ने उपयोग में आने वाले राकेट द्वारा उत्सर्जित ओजोन-क्षयकारी रसायनों के ब्योरे जुटाए और राकेट प्रक्षेपण की उच्च दरों के कई परिदृश्यों के तहत वायुमंडलीय संरचना का अनुकरण किया। पाया गया कि हर साल दुनिया भर में लगभग दो हजार प्रक्षेपणों के साथ ओजोन परत तीन फीसद तक पतली हो जाती है।

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राकेट से निकलने वाले रसायनों के वायुमंडलीय परिवहन के कारण अंटारकटिका में ओजोन को सर्वाधिक नुकसान देखा गया है, भले ही अधिकांश प्रक्षेपण उत्तरी गोलार्ध में हो रहे हों। अंतरिक्ष में भीड़ बढ़ने के नतीजे बुरे होने के संकेत हैं। सौभाग्य से, अभी ओजोन का नुकसान कम है। हमें समय रहते चेत जाना चाहिए। हमें पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले विनाशकारी नुकसान इंतजार नहीं करना चाहिए। जरूरत है कि हम अंधाधुंध होड़ से बचें।