हर देश का भी अपने प्रवासियों से नाता बना रहता है। इसी के चलते भारत में प्रवासी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी, जिसमें हर साल दूसरे देशों में रह रहे भारतीय मूल के लोग कुछ दिनों के लिए यहां आते हैं।
यह केवल सैर-सपाटे का अवसर नहीं होता, बल्कि उन्हें अपने देश के लिए कुछ करने का मौका भी होता है। दरअसल, प्रवासी सम्मेलन की शुरुआत ही इस मकसद से की गई थी कि दूसरे देशों में रह रहे भारतीय मूल के लोग यहां आकर निवेश के अवसर तलाश सकें। इंदौर में चल रहे सत्रहवें प्रवासी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भी इस तकाजे को एक बार फिर रेखांकित किया।
उन्होंने दूसरे देशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को विदेशी धरती पर भारत का ‘ब्रांड एंबेसडर’ बताया। इस सम्मेलन में सत्तर देशों के साढ़े तीन हजार प्रवासी भारतीय हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले विदेशमंत्री ने भी इस सम्मेलन को प्रवासी भारतीयों के लिए अपने संबंधों को नया करने, नई ऊर्जा से भरने और नए पहलुओं को जोड़ने के एक अवसर के रूप में रेखांकित किया।
इस बार के प्रवासी भारतीय सम्मेलन की अहमियत इसलिए भी है कि इस वर्ष जी-20 समूह की अध्यक्षता भारत कर रहा है और यहां निवेश संबंधी अनेक नए अवसर खुले हैं। भारत विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। पूरी दुनिया अब भारत की तरफ देख रही है। ऐसे अनेक अवसर आए, जब विश्व के विकसित कहे जाने वाले देशों ने भी भारत को अहमियत दी।
कोरोना के समय भारत ने अपने बल पर न केवल इसके टीके बनाए, बल्कि दुनिया के उन्नत कहे जाने वाले देशों की तुलना में अधिक तेजी से और बड़ी संख्या में टीके लगाने में कामयाबी भी हासिल की। अरिहंत जैसा स्वदेशी जलपोत तैयार किया, उपग्रह प्रक्षेपण के मामले में प्रतिस्पर्धी ढंग से आगे बढ़ रहा है। इस तरह भारत से जाकर दूसरे देशों में कारोबार कर रहे लोगों के लिए भारत के प्रति आकर्षण की स्वाभाविक वजहें हैं।
इस समय जिस तरह पूरी दुनिया मंदी की आशंका से ग्रस्त है और कारोबारी सुस्ती छाई हुई है, उसमें तमाम देश अपने लिए नया बाजार तलाश रहे हैं। ऐसे में निवेश की दृष्टि से भारत एक बेहतर जगह साबित हो सकता है। इसलिए इस बार के प्रवासी सम्मेलन से स्वाभाविक ही उम्मीद बनती है कि भारतीय मूल के लोगों को यहां कारोबार की नई संभावनाएं तलाशने में मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार ने स्टार्टअप और मेक इन इंडिया योजनाओं के तहत लाखों युवाओं को नए आविष्कार और रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। इस तरह यहां एक समृद्ध कारोबारी वातावरण बना है। विदेशी कंपनियों के लिए नियम और शर्तें काफी लचीली बना दी है। अब तो विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने परिसर भी यहां खोलने की इज्जत दे दी है। ऐसे में प्रवासी भारतीय व्यवसायियों के लिए अनुकूल कारोबारी वातावरण उपलब्ध है।
व्यवसाय के लिए सबसे जरूरी चीज होती है, कारोबारी वातावरण और बाजार। ये दोनों चीजें इस समय उपलब्ध हैं। अगर प्रवासी भारतीय भारत में निवेश के लिए आगे बढ़ते हैं, तो न सिर्फ यहां कुछ नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि निर्यात को भी गति मिलने की उम्मीद की जा सकती है। निस्संदेह इस बार के प्रवासी सम्मेलन से बेहतर नतीजे आने की आशा है।