प्रयागराज कुंभ मेले में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि आयोजन बिना किसी हादसे के संपन्न हो। मगर रविवार को मेले के एक हिस्से में लगी आग से यही स्पष्ट हुआ कि व्यवस्था के हर मोर्चे पर चाक-चौबंद होने के तमाम दावों के बरक्स कुछ लोगों ने लापरवाही बरती। नतीजतन, मेला क्षेत्र के गीता प्रेस शिविर में रसोई गैस सिलेंडर के फटने से आग लग गई।

गनीमत बस यह रही कि इसके बाद आग बुझाने और बचाव में काफी तत्परता देखी गई, जिसकी वजह से आग के दायरे को समेटने और उस पर काबू पाने में कामयाबी मिली और कम से कम किसी की जान नहीं गई। वरना, जिस स्तर पर आग लगी और उसकी लपटें उठीं, उसमें घटना की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर बचाव दल की ओर से इस स्तर की त्वरित कार्रवाई नहीं होती, तो जानमाल के नुकसान का दायरा बहुत बड़ा भी हो सकता था।

एक मोर्चे पर नाकामी आई सामने

किसी भी धार्मिक आयोजन में होने वाले जमावड़े में लापरवाही की वजह से आग लगने या भीड़ के बेकाबू होने के बाद हादसा न होने देना ही सबसे बड़ी चुनौती और जिम्मेदारी होती है। प्रयागराज में कुंभ की शुरूआत के समय ही जितने बड़े पैमाने पर लोगों के जुटने का अनुमान लगाया गया था, उसमें सरकार के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी समूचे मेला क्षेत्र में व्यवस्था के स्तर पर सौ फीसद सुरक्षा की थी। किसी एक जगह बरती गई मामूली लापरवाही भी गंभीर जोखिम पैदा कर सकती थी।

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व्यवस्था को कायम रखने के लिए जिस तरह के व्यापक इंतजाम किए गए, अलग-अलग महकमों से भारी संख्या में कर्मचारियों को तैनात किया गया, उससे दुर्घटनाओं को रोकने और उन पर काबू पाने की कोशिश जरूर दिखी। मगर असली चुनौती किसी भी हादसे की संभावना तक को शून्य करना था। इसमें फिलहाल एक मोर्चे पर नाकामी सामने आई है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे सबक लेकर सभी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था, निगरानी और बचाव के ऐसे इंतजामों में कोई भी कोताही नहीं की जाएगी, ताकि कुंभ कम से कम बचे हुए वक्त में अच्छी स्मृतियों के साथ संपन्न हो।