दिल्ली में बिगड़ती आबोहवा को सुधारने के मकसद से सर्वोच्च न्यायालय ने एक और कड़ा आदेश दिया है। अब हरियाणा और पंजाब से आने वाले व्यावसायिक और मालवाहक वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर एक से होकर नहीं गुजर सकेंगे। इसी तरह राजस्थान की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर आठ होकर दिल्ली के रास्ते दूसरे राज्यों में जाने वाले ट्रकों का प्रवेश बंद हो जाएगा। सिर्फ उन्हीं ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत होगी, जिन्हें दिल्ली में माल उतारना है। पिछले महीने एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने बाहरी राज्यों से दिल्ली में प्रवेश करने वाले भारी वाहनों पर हरित शुल्क लगाने का आदेश दिया था। अब सर्वोच्च न्यायालय ने उस शुल्क की रकम बढ़ा कर लगभग दो गुनी कर दी है।
एनजीटी के आदेश के मुताबिक हरित शुल्क अदा करने के बाद ट्रक दिल्ली के रास्ते दूसरे राज्यों में जा सकते थे, पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद वह नियम लागू नहीं रह पाएगा। बाहरी राज्यों से आने वाले ट्रकों के लिए अलग से रास्ता तय किया जाएगा। अध्ययन बताते हैं कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान ट्रकों का है। इसलिए माना जा रहा है कि इनके दिल्ली में प्रवेश पर अंकुश लगने के बाद प्रदूषण की मात्रा काफी हद तक कम हो सकती है। मगर इस नई व्यवस्था से माल ढुलाई के व्यवसाय में लगे लोगों पर खर्च का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
इसके चलते उन्हें अतिरिक्त दूरी करनी पड़ेगी, जिसमें समय और र्इंधन अधिक जाया होगा, पर किराया बढ़ा कर वसूलना उनके लिए टेढ़ा काम हो सकता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजह से जिस तरह स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ रही हैं, उन्हें देखते हुए अदालतों का कहना है कि लोगों को अगर अपनी कुछ सुविधाओं का त्याग करना पड़े तो इससे उन्हें गुरेज नहीं होना चाहिए। दो हजार सीसी क्षमता वाली डीजल चालित बड़ी गाड़ियों के पंजीकरण पर मार्च तक के लिए रोक लगा दी गई है। दिल्ली की सड़कों पर वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता गया है, तिस पर बड़ी डीजल चालित आलीशान गाड़ियों का चलन जैसे हैसियत प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति के रूप में पनप चुका है।
डीजल से चलने वाली गाड़ियों की बिक्री नियंत्रित करने की मांग काफी समय से उठ रही थी। इसका एक मकसद प्रदूषण रोकने के अलावा डीजल पर मिलने वाली सबसिडी का लाभ संपन्न लोगों को मिलने से रोकना भी था। इसी तरह ट्रकों के अनावश्यक रूप से दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगाना जरूरी था। इनकी वजह से प्रदूषण के अलावा सड़कों पर घंटों जाम लगे रहना आम हो गया है। सवाल है कि जिन ट्रकों को दिल्ली में माल नहीं उतारना होता, उन्हें प्रवेश की इजाजत दी ही क्यों जाए। मगर लाखों ट्रक इसलिए दिल्ली के रास्ते होकर दूसरे राज्यों के लिए गुजरते हैं कि उन्होंने अंतरराज्यीय परमिट ले रखा है। अब उन ट्रक मालिकों का रोना है कि इस नई व्यवस्था से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।