पेरिस ओलंपिक 2024 के समापन के साथ ही अब सभी देश और उनके खिलाड़ी अगली बार की तैयारी में लग जाएंगे। भारत की टीम भी ओलंपिक 2024 में एक रजत और पांच कांस्य पदक जीत कर अपनी टीम के साथ वापस आ गई है। इस आयोजन में भाग लेने और पदक हासिल कर पाने वाले देशों की संख्या के लिहाज से देखें तो भारत का प्रदर्शन कुछ बेहतर जरूर रहा, लेकिन कुल मिला कर यही कहा जा सकता है कि हमें ओलंपिक में अपनी मजबूत जगह बनाने के लिए अभी काफी तैयारी की जरूरत है।

ओलंपिक 2024 में शामिल एक सौ चौदह देशों को कोई पदक नहीं मिला

गौरतलब है कि ओलंपिक 2024 में शामिल एक सौ चौदह देशों को कोई पदक नहीं मिल सका। पदक तालिका में भारत को इकहत्तरवां स्थान मिला। जबकि तोक्यो ओलंपिक, 2020 में भारत ने एक स्वर्ण सहित सात पदक जीते थे और पदक तालिका में अड़तालीसवें स्थान पर रहा था। इसलिए उम्मीद थी कि इस बार पदक तालिका में भारत को पहले से बेहतर जगह मिलेगी। हाकी और तीरंदाजी में भारत के खिलाड़ियों ने अच्छी दखल दी और पदक जीते, मगर कुछ खेलों में अप्रत्याशित नतीजों और उतार-चढ़ावों की वजह से वह उम्मीद धुंधली रही।

यों खेलों में जीत-हार होती रहती है। फिर भी भारत की आबादी और ओलंपिक की चुनौतियों के मद्देनजर की गई तैयारियों को लेकर यह सवाल जरूर उभरता है कि आखिर क्या वजह है कि जहां छोटे-छोटे देश भी खेलों की दुनिया में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर लेते हैं, वहीं हमारे देश को संतोषजनक जगह भी नहीं मिल पाती। साफ है कि अभी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है। प्रतिभाओं की खोज से लेकर उन्हें उचित और विश्वस्तरीय प्रशिक्षण मुहैया कराने की पहलकदमी सरकार को ही करनी होगी।

पर्याप्त धन खर्च करने के अलावा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल को लेकर ‘कोई समझौता नहीं’ की नीति पर चलना होगा। साथ ही, कुछ मामलों में जो अप्रिय स्थितियां उभरीं, जीता हुआ पदक हाथ से निकल गया, उससे बचने के लिए हर हाल में एक पुख्ता तंत्र बनाना होगा। अगर ठोस राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और प्रतिभाओं के चयन तथा प्रशिक्षण को लेकर पूरी तरह ईमानदार और पारदर्शी व्यवस्था हो, तो ओलंपिक की पदक तालिका में हम भी सम्मानजनक स्थान हासिल कर सकते हैं।