महाराष्ट्र के भंडारा जिले में शुक्रवार को सुबह एक हथियार फैक्ट्री में हुआ हादसे से यही रेखांकित हुआ है कि बार-बार होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं के बावजूद लापरवाही बदस्तूर कायम है और इसकी वजह से बड़े पैमाने पर जानमान का नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि आयुध कारखाने के दीर्घकालिक योजना वाले हिस्से में अचानक एक बड़ा धमाका हुआ, जिसमें सेना के इस्तेमाल के लिए आरडीएक्स और अन्य बेहद संवेदनशील विस्फोटक तैयार किए जाते हैं। इसकी तीव्रता और असर का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिस इमारत में धमाका हुआ, वह पूरी तरह नष्ट हो गई।

इस हादसे में कम से कम आठ लोगों के मारे जाने की खबर आई और तेरह-चौदह लोगों के फंसे होने के आशंका है। ऐसी जगहों पर बचाव अभियान चलाना भी बेहद संवेदनशील मामला होता है, क्योंकि कभी भी किसी हथियार में विस्फोट और ज्यादा लोगों की जान जाने की आशंका बनी होती है। विचित्र है कि आयुध निर्माण के दौरान के जोखिम से वहां का प्रबंधन परिचित होगा, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी नहीं समझा गया कि कोई भी ऐसी चूक न हो, जो बड़े नुकसान का कारण बन जाए।

ऐसा नहीं कि भंडारा के आयुध कारखाने में विस्फोट कोई पहली घटना है। आए दिन देश के अन्य हथियार बनाने वाले कारखानों में ऐसे हादसे सामने आते रहे हैं। खुद भंडारा की इसी फैक्ट्री में करीब एक वर्ष पहले विस्फोट हुआ था। अफसोसनाक यह है कि इसके बावजूद वहां सावधानी बरतने की व्यवस्था नहीं की गई। जबकि किसी हादसे का सबसे बड़ा सबक यह होना चाहिए कि उसके बाद उन तमाम बातों और बारीकियों का खयाल रखा जाए, उन पर रत्ती भर भी लापरवाही न बरती जाए, जिससे उस तरह की घटना दोबारा होने से रोका जा सके।

मगर विडंबना यह है कि न केवल दूसरी जगहों पर हुई समान घटनाओं को उदाहरण मान कर सावधानी नहीं बरती जाती, बल्कि एक ही जगह के वैसे हादसों के बाद भी प्रबंधन की नींद नहीं खुलती और सुरक्षा की उचित व्यवस्था नहीं की जाती। नतीजतन, ऐसे हादसे बार-बार होते और नाहक ही जानमाल का नुकसान होता रहता है।