भारतीय वायुसेना में पहली बार तीन महिला लड़ाकू विमान चालकों को कमीशन प्रदान किया गया है। हालांकि यह प्रस्ताव पुराना था, पर महिलाओं को लड़ाकू विमान उड़ाने की इजाजत देने को लेकर सरकार और सेनाधिकारी हिचक रहे थे। मगर महिला पायलटों में इस मुश्किल काम को कर दिखाने का जज्बा देखते हुए यह निर्णय किया गया। छह महीने के कठोर प्रशिक्षण के बाद इन तीनों महिलाओं को फाइटर पायलट के रूप में कमीशन दिया गया। यों वायुसेना में करीब तेरह सौ महिला अधिकारी तैनात हैं, पर उन्हें प्रशासन, साजो-सामान, शिक्षा जैसे कामकाज में लगाया जाता है। इनमें से एक सौ दस महिलाएं पायलट के रूप में तैनात हैं, पर उन्हें जंग में जाने की इजाजत नहीं है।
उन्हें मालवाहक विमान और हेलीकॉप्टर आदि उड़ाने के काम में लगाया जाता है। इसकी वजह सिर्फ यह है कि सेनाधिकारियों को इस बात से हमेशा हिचक होती रही है कि अगर किन्हीं स्थितियों में जंग के दौरान महिला पायलट दुश्मन सेना की गिरफ्त में आ जाती हैं, तो उन्हें जो प्रताड़ना सहनी पड़ेगी, वह देश के लिए शर्म का विषय होगा। इसके अलावा यह भी कि फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए जिस तरह की मानसिक और शारीरिक चुस्ती की जरूरत पड़ती है, उसके लिए कठोर प्रशिक्षण से महिलाओं की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। मगर खुद महिला पायलटों ने इस हिचक को दूर करने की आवाज उठाई और उन्होंने खुद को उसी तरह तैयार करके दिखा दिया, जैसे एक पुरुष पायलट अपने को शारीरिक और मानसिक तौर पर चुस्त रखता है। निस्संदेह इससे प्रशिक्षण ले रही दूसरी महिला पायलटों के लिए जंगी जहाज उड़ाने का रास्ता खुल गया है।
वायुसेना में भरती होने वाले हर पायलट का सपना होता है कि एक दिन उसे जंगी जहाज उड़ाने को मिलेगा, मगर महिलाओं को अब तक इससे दूर ही रखा जाता रहा है। दरअसल, जंगी जहाज उड़ाना कई तरह से जोखिम भरा काम है। मगर सिर्फ इस आधार पर कि कोई पायलट महिला है, उसे जोखिम से दूर रखा जाना स्वाभाविक ही कई लोगों को नागवार गुजर रहा था। भारत के अलावा अनेक देशों में महिलाएं जंगी जहाज उड़ाती और युद्ध में हिस्सा लेती आ रही हैं। यहां तक कि पाकिस्तान जैसे देश में, जहां महिलाओं को लेकर आमतौर पर दकियानूसी खयालात हैं, फाइटर प्लेन उड़ाने की इजाजत महिलाओं को मिल चुकी है। अंतरिक्ष यान संचालित करने जैसे जोखिम भरे और तकलीफदेह काम जब महिलाओं ने कर दिखाए हैं, तो जंगी जहाज उड़ाने की उनकी क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
रक्षामंत्री ने घोषणा की है कि इसके बाद प्रशिक्षण ले रही महिला पायलटों में से कुछ और को फाइटर प्लेन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। चयनित महिलाओं को तेजस जैसे अत्याधुनिक जंगी विमान उड़ाने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। हालांकि महिलाओं को कमीशन देने का फैसला पिछली सरकार के समय ही हो गया था, मगर रणक्षेत्र में भेजे जाने के लिए उन्हें तैयार करने में थोड़ा वक्त लगेगा। वायुसेना के ताजा फैसले से जल और थल सेना को भी महिला अफसरों को चुनौती भरी जिम्मेदारियां सौंपने के मामले में प्रेरणा मिलेगी। जब प्रशासन, कारोबार, तकनीक आदि क्षेत्रों में महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे किसी भी रूप में पुरुषों से कम नहीं हैं, तो सेना में ऐसी विभाजक रेखा खींच कर रखना उचित नहीं था।