तमाम सतर्कता के बावजूद सीमा पार के आतंकियों द्वारा मंगलवार को एक सैनिक शिविर पर और सीमा सुरक्षा बल के जवानों पर दोहरा हमला हुआ। दोनों जगह की जवाबी कार्रवाई में कुल सात आतंकी मारे गए, जबकि भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत तीन जवान शहीद हो गए और सीमा सुरक्षा बल के दो जवान घायल हैं। सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में सीमा सुरक्षा बल के गश्ती दल पर आतंकियों ने हमला किया, जिसमें दो जवान घायल हो गए। यहां जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकी मारे गए। भारतीय सेना के सितंबर में पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पार से लगातार आतंकी घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं और इस बीच डेढ़ दर्जन से ज्यादा हमले हो चुके हैं। मंगलवार की सुबह हुए आतंकी हमले इसी सिलसिले की ताजा कड़ी हैं। फिलहाल किसी नागरिक को कोई क्षति नहीं हुई है। लेकिन यह घटना भारतीय खुफिया एजेंसियों की भारी चूक है।
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी कभी सीमा पर तो कभी देश के भीतर आए दिन कोई न कोई खूनी इबारत लिख जाती है। यह खूनखराबा कहां जाकर थमेगा, कौन कह सकता है! इससे संघर्ष विराम समझौते की भी चूलें हिल गई हैं। यह समझौता नवंबर 2003 में हुआ था। करीब एक दशक तक इसका लाभ नजर आया, पहले के मुकाबले नियंत्रण रेखा पर हिंसा की घटनाएं बहुत कम हुर्इं। पर दो-तीन साल से संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन की घटनाएं आम रही हैं। दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय वार्ता के अलावा सुलह-सफाई की कोशिशें कई दफा हो चुकी हैं, लेकिन पाकिस्तान का अड़ियल रुख कभी भी ऐसी पहल को तार्किक परिणति तक नहीं पहुंचने देता। दो दशक से ज्यादा समय से सीमा पार से नियंत्रित आतंकवाद के चलते भारत ने अपने अनेक सैनिकों और नागरिकों की जान गंवाई है। जम्मू-कश्मीर की धरती पाकिस्तानी सेना और आइएसआई द्वारा संचालित आतंकी करतूतों के खून से रंगी हुई है। इस तरह की दहशतगर्दी से आजिज आकर भारत को पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए पिछले महीने सर्जिकल स्ट्राइक करना पड़ा था, जिसमें करीब तीन दर्जन आतंकियों और उनकी मदद कर रहे डेढ़ दर्जन पाक सैनिकों को मार गिराया गया था। समझा जाता है कि इसके बाद से ही न केवल आइएसआइ और पाक सेना, बल्कि पाकिस्तान सरकार भी बौखलाई हुई है।
कूटनीतिक मोर्चे और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मात खाने के बाद पाकिस्तान फिर अपनी पुरानी फितरत में लौट आया है। पाक सेना और आइएसआइ को अब भी यह अक्ल नहीं आ रही कि उसकी कारगुजारियों के दिन अब ज्यादा नहीं रह गए हैं। लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में विचाराधीन है। भारत में आतंकी हमलों के पीछे इन दोनों संगठनों का नाम बार-बार सामने आया है। फिलहाल चीन के वीटो की वजह से ये दोनों संगठन आतंकी सूची में शामिल होने से बच गए हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के रुख को देखते हुए इन पर कभी भी शिकंजा कस सकता है। जरूरत है भारत अपनी खुफिया एजेंसियों को मुस्तैद करे और आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए जो भी संभव हो करे।