मुंबई के उपनगर घाटकोपर में मंगलवार को एक चारमंजिली आवासीय इमारत ढहने से एक दर्जन व्यक्तियों की मौत हो गई और डेढ़ दर्जन लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) के आयुक्त को जांच करके पंद्रह दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सदोष मानवहत्या का मुकदमा दर्ज होगा। इस बीच स्थानीय पुलिस ने अभियोग पंजीकृत कर एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। राज्य के आवास मंत्री ने भी कहा है कि यह घटना आंखें खोलने वाली है। निश्चित रूप से इसकी कड़ी जांच की जाएगी। बताया गया कि सिद्धि सार्इं कोआपरेटिव सोसायटी की इस इमारत की भूतल से तीसरे तल तक का स्वामित्व शिवसेना की एक नेता के पति के पास है। बाशिंदों का कहना था कि नेता का पति अपने भूतल वाले हिस्से में अवैध तरीके से तोड़फोड़ करा रहा था। पहले वह इस हिस्से में एक नर्सिंगहोम चला रहा था। लेकिन ज्यादा आमदनी के चक्कर में वह इसमें बीयर बार खोलना चाहता था। इसीलिए इसमें कुछ संरचनात्मक परिवर्तन की जरूरत थी। जब इमारत में रहने वाले लोगों ने इस पर आपत्ति जताई तो उसने अपनी राजनीतिक पहुंच की धमकी दी, जिसके बाद विरोध करने वाले थोड़ा शांत हो गए।

त्रासद पहलू यह है कि मरनेवालों में बच्चे और कई महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें एक तीन महीने और एक साल भर का बच्चा भी है। मौके पर बीएमसी अग्निशमन दल और राष्ट्रीय आपदा राहत बचाव दल के लोग पहुंचे तो मलबे में फंसे लोग चीख-पुकार रहे थे। कुछ लोगों को बाहर भी निकाला गया, लेकिन तब तक मलबे में दब कर कई लोग आखिरी सांस ले चुके थे। असल में देश में सारे महानगर आबादी की भीड़ से दबे हुए हैं। ऐसे में बहुमंजिली इमारतें ही आवास के लिए एक विकल्प दिखाई देती हैं। लेकिन देखा गया है कि दिल्ली हो या मुंबई, निजी आवासों का निर्माण हो या सहकारी, नियमों की अनदेखी हर जगह होती है। स्थानीय निकायों की हालत यह है कि उनकी सारी हलचल दुर्घटनाओं के बाद दिखाई पड़ती है। समय रहते अगर वे थोड़ा-बहुत भी सक्रिय हो जाएं तो कई बड़ी-बड़ी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। इस मामले में भी यही हुआ है। जैसा कि इमारत में रहने वाले एक निवासी ने बताया कि तोड़फोड़ कई दिनों से चल रही थी और इसके लिए बीएमसी से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

यह भी देखा जाता है कि छोटी-मोटी राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोग भी अक्सर नियमों की अनदेखी करने में ही अपनी शान समझते हैं। मुंबई में शिवसेना का प्रभाव है। इसलिए स्वाभाविक है कि इमारत के मालिक ने बीएमसी से इसकी इजाजत लेने की जरूरत ही न समझी हो। अब जबकि, इतना बड़ा हादसा हो गया है तब राज्य सरकार चेती है और जांच कराने की बात कर रही है। सरकार के इस रुख में भी एक टालू रवैया नजर आता है। फिलहाल कोई मुआवजा वगैरह का भी एलान नहीं हुआ है। कामना ही की जा सकती है कि राज्य सरकार आगे से घरों में मनमाना तोड़ कराने वालों को हतोत्साहित करने के लिए कोई कारगर कदम जरूर उठाएगी।