कई बार साधारण-सी दिखने वाली कोई पहल आगे चलकर दूरगामी महत्त्व की साबित होती है। दस वर्ष पहले जब जन धन खाता योजना की शुरुआत हुई, तो इसे लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई गई थीं। मसलन, अगर साधारण लोग बैंक में खाता खोल रहे हैं तो खाता चालू रखने की शर्तों को कैसे और कितने दिन तक पूरा कर पाएंगे और इससे आम लोगों के साथ-साथ देश को क्या लाभ होगा! अब यह कहा जा सकता है कि जन धन खाता योजना में महत्त्वपूर्ण कामयाबी मिली है और एक बड़ा तबका इससे लाभान्वित हुआ है।

इसके अलावा, इसने देश की अर्थव्यवस्था में काफी अहम योगदान दिया है। शायद यही वजह है कि जिस समय दुनिया भर में आर्थिक उतार-चढ़ाव और उथल-पुथल है, कई देशों में मंदी का माहौल है, उस समय भारत में केवल जन धन खातों में ढाई लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि जमा है।

इस योजना से वंचित और गरीब तबका बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ा

गौरतलब है कि जन धन खाता योजना शुरू होने के बाद समाज का एक बड़ा वंचित और गरीब तबका बैंकिंग क्षेत्र के दायरे आया। इस तबके के लोगों का खाता अगर किसी बैंक या डाकघर में किसी तरह खुल भी जाता था, तो उसे बनाए रखना उनके लिए मुश्किल था। इसके मद्देनजर जन धन खाता योजना में यह सुविधा दी गई कि खाते में न्यूनतम राशि अगर नहीं है, तब भी खाता कायम रहेगा। साथ ही, जमा राशि पर ब्याज मिलने के अलावा एक अहम पहलू दुर्घटना बीमा के तहत अब दो लाख रुपए तक की सुरक्षा राशि दिया जाना है।

इस योजना के खाताधारकों को विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के तहत मिली राशि सीधे हस्तांतरित करने में मदद मिलती है। आज ग्रामीण लोगों और खासकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में इस योजना ने बड़ी भूमिका निभाई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर समावेशी वित्तीय विकास का एक ठोस आधार बना है।

यह देखने की बात होगी कि देश के विकास में गरीब तबकों के समावेशन के जिस मकसद से इस योजना की नींव रखी गई थी, वह आने वाले वक्त में किस हद तक वास्तव में जमीन पर उतरती है।