आखिरकार ईरान ने इजराइल पर मिसाइलें दाग कर उसे चुनौती दे दी। अभी तक हमास के विरुद्ध इजराइल की जंग को लेकर वह चुप्पी साधे हुए था। मगर जब इजराइल ने लेबनान पर हमला कर हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह और दूसरे नेताओं को मार गिराया तो इजराइल की चेतावनियों को धता बताते हुए ईरान ने उस पर जवाबी मिसाइलें दाग दीं। हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि इस हमले से इजराइल में कितना नुकसान हुआ है, मगर इससे इजराइल के पक्ष और विपक्ष में दुनिया के बंट जाने और संघर्ष बढ़ने की आशंकाएं गहरा गई हैं।
अमेरिका शुरू से इजराइल का समर्थन करता रहा है। ईरान के हमले के बाद उसने खुल कर कह दिया कि जब भी जरूरत पड़ेगी, उसकी सेनाएं इजराइल की मदद के लिए उतरने को तैयार हैं। कुछ दिनों पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने इजराइल को चेतावनी दी थी कि वह लेबनान पर हमले से बाज आए। बताया जा रहा है कि ईरान ने रूस से बातचीत के बाद ही इजराइल पर मिलसाइलें दागीं। इस तरह यह आशंका बढ़ गई है कि अगर इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष बढ़ा, तो विश्वयुद्ध की स्थिति बन सकती है।
दरअसल, यह संघर्ष फिलिस्तीन को लेकर शुरू हुआ था। लंबे समय से यह विवाद चला आ रहा है, मगर जब हमास के लड़ाकों ने इजराइल की सीमा में उतर कर हमले किए तो इजराइल ने उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। इजराइल ने पहले ही फिलिस्तीन का लगभग सारा हिस्सा हथिया लिया था। अब उसने बचे हुए गाजा पट्टी पर भी हमले शुरू कर दिए और एक तरह से फिलिस्तीन का नामोनिशान मिटाने पर तुला है। हमास पर काबू पाने के बाद उसने लेबनान के हिजबुल्ला और यमन के हूती विद्रोहियों को नेस्तनाबूद करने की कोशिशें तेज कर दी।
हूती, हमास और हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन मानता है इजराइल
सब जानते हैं कि हमास, हिजबुल्लाह और हूती- तीनों संगठनों को ईरान ने पाला-पोसा है। इजराइल इन्हें आतंकी संगठन बताता है, जबकि ईरान उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कहता है। जैसा कि इजराइल के रुख से जाहिर है, वह अपने विरुद्ध उठने वाले किसी भी कदम को सख्ती से कुचलने को प्रतिबद्ध है। इसकी खुली चेतावनी भी वह दे चुका है। कुछ दिनों पहले इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की जनता को सीधे संबोधित करते हुए वहां के शाह के खिलाफ उन्हें भड़काने की भी कोशिश की थी। अगर इजराइल और ईरान में संघर्ष बढ़ता है, तो इसके कई घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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इन हालात में भारत संतुलन बनाकर चल रहा है। भारत के संंबंध अमेरिका और इजराइल से बहुत अच्छे हैं, तो ईरान और रूस से भी रणनीतिक संबंध हैं। दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने इजराइल के प्रधानमंत्री से फोन पर बातचीत कर पश्चिम एशिया में शांति बहाली और बंधकों की सुरक्षित रिहाई की अपील की थी। मगर ईरान के हमले के बाद स्थिति बदल गई है।
रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए भारत ने किया प्रयास
हालांकि ऐसी स्थितियों में दुनिया की नजर भारत पर बनी रहती है और उम्मीद की जाती है कि वह मध्यस्थता कर युद्धविराम का रास्ता तैयार कर सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के लिए भारत लगातार प्रयास करता भी रहा है। मगर इजराइल के मामले में यह काम थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो गया है। इजराइल अपनी जिद पर अड़ा हुआ है और अब ईरान ने उसे चुनौती दे दी है। इस संघर्ष को और बढ़ने से रोकने का रास्ता फिलहाल इजराइल और अमेरिका को ही निकालना है।