हमास के हमले के बाद शुरू हुए इजराइली आक्रमण का खमियाजा फिलिस्तीन के हजारों नागरिक भुगत रहे हैं। इजराइल का दावा है कि वह चरमपंथी समूहों पर हमले कर रहा है, लेकिन सच यह है कि इसकी चपेट में ज्यादातर नागरिक ही आ रहे हैं। अब तक लगभग पैंतालीस हजार फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। हजारों लोग घायल हो चुके हैं। इजराइल वहां मानवीय सहायता भी पहुंचने नहीं दे रहा। ऐसे में हमले से बचे लोग और खासतौर पर बच्चे भुखमरी, रोग और ठंड के शिकार हो रहे हैं।

बड़ी संख्या में महिलाओं-बच्चों और बुजुर्गों को शरणार्थी शिविरों में पनाह लेनी पड़ी है। दुखद यह है कि हवाई हमलों के कारण आम लोगों के शरण लेने वाले शिविर भी सुरक्षित नहीं रहे। इजराइल के हवाई हमले में स्कूल, अस्पताल और नागरिक ठिकाने भी चपेट में आए हैं, जबकि इन जगहों पर हमला नहीं करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों में स्पष्ट निर्देश है।

पांच पत्रकारों की हुई मौत

कुछ समय पहले एक धार्मिक स्थल पर सैन्य हमले में पांच लोग मारे गए थे। उस समय वहां कई विस्थापित लोगों ने शरण लिया हुआ था। बुधवार को भी गाजा पट्टी में अस्पताल के बाहर हवाई हमले में पांच पत्रकारों की मौत हो गई। यानी इजराइल अपने प्रतिशोध में अब पत्रकारों को भी नहीं बख्श रहा है।

अस्पतालों में दिख रहा सरकार के दावे और हकीकत में अंतर, दवाइयों पर बढ़ता जा रहा टैक्स

यह समझना मुश्किल है कि इतनी बड़ी तादाद में आम लोगों के मारे जाने के बावजूद इजराइल युद्धविराम के किसी भी नियम-कायदे को मानने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं और न ही शांति प्रयास की किसी पहल में उसकी रुचि है। उसकी लगातार नाकाबंदी के कारण भोजन-पानी और दवाओं के अभाव में फिलिस्तीनी रोज मर रहे हैं। भीषण रक्तपात के बावजूद अमेरिका सहित दुनिया के बड़े देशों ने अपनी आंखें मूंद ली हैं।

बिना बिजली-पानी के जी रहे लोग

इस समय गाजा के रिहाइशी इलाके और सड़कें वीरान हैं। लोग बिजली-पानी के बिना जी रहे हैं। गाजा अभूतपूर्व मानवीय संकट से गुजर रहा है। हैरत है कि मानवाधिकार हनन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले देश भी इजराइल के खिलाफ आगे नहीं आ रहे। ऐसे में शांति प्रक्रिया कैसे शुरू होगी? प्रतिशोध की आड़ में इजराइल कब तक तबाही मचाता रहेगा? यह ध्यान रखने की जरूरत है कि प्रतिशोध की आग में बहुत कुछ जल जाता है, लेकिन युद्ध के बाद हल का रास्ता शांति और संवाद से ही निकल सकता है।