इजराइल और हमास के बीच युद्ध की शुरूआत हुए एक वर्ष से ज्यादा बीत चुके हैं। हमास के हमले के जवाब के नाम पर शुरू हुए इजराइली आक्रमण अब भी जारी हैं और उसके खत्म होने का कोई सिरा फिलहाल नहीं दिख रहा है। यह स्थिति तब भी कायम है जब दुनिया के ज्यादातर देश युद्ध को तुरंत खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इस क्रम में बुधवार को भी संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत गाजा में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने की मांग की गई है। साथ ही हमास और फिलिस्तीनी गुटों की हिरासत में रखे गए बंधकों की रिहाई के लिए भी कदम उठाने को कहा गया है।
युद्ध विराम के विरोध में पड़े केवल 9 मत
एक अन्य प्रस्ताव में इजराइल से फिलिस्तानी शरणार्थियों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र एजंसी पर से प्रतिबंध हटाने की भी मांग की गई है। युद्ध विराम के प्रस्ताव के समर्थन में एक सौ अट्ठावन मत पड़े, जबकि विरोध में केवल नौ मत। जाहिर है, कुछ देशों को छोड़ कर दुनिया के ज्यादातर देश युद्ध के विरुद्ध हैं और ऐसी स्थिति में इजराइल को भी इस पर विचार करने की जरूरत है।
इजरायल की दलील, हमास के आतंकियों का कर देंगे सफाया
गौरतलब है कि पिछले वर्ष अक्तूबर की शुरूआत में इजराइली सीमा के भीतर हमास के हमले में करीब बारह सौ लोगों के मारे जाने के बाद उसके जवाब में इजराइल ने गाजा पर हमला किया था, जिसमें तब से अब तक बयालीस हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इजराइल की दलील अब भी यही है कि वह हमास के आतंकियों का सफाया कर देगा। सवाल है कि जितने लोगों की जान अब तक जा चुकी है, उनमें से कितने वास्तव में हमास या उससे जुड़े आतंकी थे!
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यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि मारे जाने वालों में गिनती के कुछ को छोड़ दिया जाए तो आमतौर पर सभी गाजा में रहने वाले आम लोग थे, जिनका युद्ध से कोई वास्ता नहीं था। अपने लिए इंसाफ की इच्छा करते और दलील देते हुए इजराइल ने जिस तरह गाजा पर हमले के क्रम में अंतरराष्ट्रीय कानूनों को ताक पर रख कर अस्पतालों और शरण-स्थलों तक को नहीं बख्शा, महिलाओं से लेकर छोटे मासूम बच्चों तक तक मारे गए, उससे यही लग रहा है कि अब इजराइल एकतरफा युद्ध कर रहा है। उसे दुनिया के तमाम देशों सहित संयुक्त राष्ट्र तक की ओर से युद्ध खत्म करने की औपचारिक रूप से की गई मांग पर भी विचार करना जरूरी नहीं लगता।
युद्ध में आमतौर पर वो लोग मारे जाते हैं जिनका युद्ध से कोई लेना देना नहीं
दुनिया में लोकतंत्र के सभी पैरोकार बिना किसी सवाल के यह मानते हैं कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। मगर इसके समांतर से दो या इससे ज्यादा देशों के बीच किसी ऐसे मसले पर युद्ध की शुरूआत हो जाती है जिसे बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता था। इसके बाद होता यही है कि युद्ध में शामिल देशों में होने वाले हमलों में आमतौर पर ऐसे लोग मारे जाते हैं, जिनका युद्ध से कोई लेना-देना नहीं होता।
इसमें बच्चों और महिलाओं तक को नहीं छोड़ा जाता। विचित्र यह है कि इस तरह के टकराव में शामिल पक्ष आमतौर पर अपने पक्ष को न्याय और शांति का पैरोकार बताते हैं, जबकि अगर वे खुद युद्ध में शामिल एक पक्ष होते हैं तो उनके हमले में हजारों निर्दोष लोग मारे जाते हैं। गाजा में अब तक जितनी बड़ी तबाही हो चुकी है, वह मानवीयता के खिलाफ एक बड़ी त्रासदी है। इस लिहाज से संयुक्त राष्ट्र में जिस तरह तत्काल युद्ध विराम के समर्थन में दुनिया के ज्यादातर देशों ने मतदान किया, उसके मद्देनजर इजराइल को अब अपने अहं को छोड़ने की जरूरत है।