दुनिया को आज जब शांति-स्थिरता और प्रगति की आवश्यकता है, तब इजराइल युद्ध उन्माद में डूबा है। कोई ज्यादा समय नहीं हुआ जब दक्षिणी गाजा के सबसे बड़े अस्पताल पर भीषण हमले में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई और बहुत सारे घायल हो गए थे। सैन्य हमलों के दौरान वह इतना खयाल रखना भी जरूरी नहीं समझता कि बम अस्पताल पर गिर रहे हैं या उन शिविरों पर जहां बच्चे-महिलाएं और बुजुर्ग शरण लिए हुए हैं।
इजराइल की निर्मम कार्रवाई का ही नतीजा है कि गाजा के नागरिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो गए हैं। भोजन और दवाइयों के अभाव में बच्चे मर रहे हैं। सैन्य हमलों का जख्म इतना गहरा है कि इसकी कीमत वे नागरिक चुका रहे हैं, जिनका इस युद्ध से वास्ता नहीं। इस संदर्भ में युद्ध की सच्चाई और तबाही की तस्वीरें कुछ पत्रकार सामने ला रहे थे, तो इजराइल ने पत्रकारों को भी नहीं बख्शा है।
इजरायली हमले में मारे गए अल जजीरा के पांच पत्रकार, गाजा में बिगड़ते हालात
इसी रविवार को हुए हमले में गाजा के शहर अस्पताल के बाहर शरण लिए पांच पत्रकारों और दो अन्य की मौत हो गई। इससे पहले भी हमले में कई पत्रकारों की जान जा चुकी है।
सवाल है कि क्या इजराइल को यह फिक्र सता रही है कि युद्धग्रस्त क्षेत्र में जोखिम उठा कर काम कर रहे पत्रकारों ने अगर दुनिया को सच की तस्वीर दिखाई तो उसके लिए जवाब देना मुश्किल होगा! यह अफसोसनाक है कि शांति बनाए रखने की तमाम अपील के बावजूद इजराइल युद्ध संबंंधी अंतरराष्ट्रीय कानून को भी मानने के लिए तैयार नहीं है।
युद्ध के दौरान गैरजरूरी हिंसा रोकने और इंसानियत बचाने के लिए बनाए गए इस कानून में कहा गया है कि युद्ध में नागरिकों पर हमला करना गंभीर अपराध है। इस नियम के मुताबिक अगर कोई देश किसी अस्पताल, विद्यालय या रिहाइशी इलाके पर बमबारी करता है, तो यह न केवल अनैतिक, बल्कि युद्ध अपराध भी है। ताजा हमले में मारे गए पत्रकारों ने भी एक अस्पताल के बाहर शरण लिया हुआ था। इजराइल ने पूरी निर्ममता से गाजा में पानी-बिजली, ईंधन और रसद की आपूर्ति रोकी है। यह निराशाजनक ही है कि इस तरह के अपराध पर उसे सजा देने के लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई है।