इजराइल अब हमास और हिजबुल्ला के खिलाफ आरपार की लड़ाई में जुट गया है। हमास के प्रमुख को उसने कुछ दिनों पहले मार गिराया था। अब उसके हवाई हमले में हिजबुल्ला के प्रमुख हसन नसरल्लाह के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। शुक्रवार को इजराइल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में निशाने बना कर हिजबुल्ला के ठिकारों पर हमले किए। उसमें हिजबुल्ला के मुख्यालय पर बंकरभेदी बम गिराए गए, जिसमें नसरल्लाह मारा गया। इसे इजराइल की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। अब भी इजराल हिजबुल्ला को पूरी तरह खत्म करने पर अड़ा हुआ है।

पिछले हफ्ते अमेरिका और ब्रिटेन आदि इजराइल के समर्थक पश्चिमी देशों ने कोशिश की थी कि इक्कीस दिनों के लिए इजराइल हमले रोक दे। मगर राष्ट्रपति बेजामिन नेतन्याहू ने उस प्रस्ताव को सीधे-सीधे ठुकरा दिया और कहा कि जब तक वह हिजबुल्ला को खत्म नहीं कर लेगा, तब तक हमले बंद नहीं करेगा। वह संकल्प उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी दोहरा दिया। नसरल्लाह के मारे जाने के बाद माना जा रहा है कि मध्यपूर्व में स्थितियां गंभीर हो सकती हैं। ईरान ने आपातकालीन बैठक बुला ली। अगर वह सीधे इस संघर्ष में कूदता है, तो सचमुच युद्ध खतरनाक रूप ले सकता है।

अभी तक ईरान इस संघर्ष में नरम रुख अख्तियार किए हुए था, पर अब उस पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि अप्रैल में इजराइल ने ईरान पर भी हमले किए थे, जिसके जवाब में ईरान ने इजराइल पर गोले दागे थे। पर, उसके बाद वह संघर्ष आगे नहीं बढ़ पाया था। ईरान के इस संघर्ष में कूदने से बाकी अरब देशों पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने का दबाव बनेगा। पेजर और रेडियो बम धमाके करके इजराइल ने पहले ही हिजबुल्ला के सैकड़ों लड़ाकों को मार और अशक्त बना कर उसकी कमर तोड़ दी थी। अब उसके प्रमुख नसरल्लाह के मारे जाने के बाद कई लोगों का मानना है कि हिजबुल्ला खत्म हो जाएगा।

हिजबुल्ला के पास अभी भी लाखों घातक हथियार

इजराइल ने भी दावा किया है कि हिजबुल्ला के हर लड़ाके पर उसकी नजर है। मगर सच्चाई यह है कि हिजबुल्ला इस हमले से कुछ हतोत्साहित जरूर हुआ है, उसकी ताकत शायद कम नहीं हुई है। अब भी उसके पास लाखों घातक हथियार जमा हैं, जिनका इस्तेमाल वह इजराइल के खिलाफ कर सकता है। इसलिए इजराइल का ज्यादा ध्यान हिजबुल्ला के हथियारों का जखीरा नष्ट करने पर है। हालांकि युद्ध में जीत का सेहरा चाहे जिसके सिर बंधे, नुकसान दोनों पक्षों के आम लोगों को झेलना पड़ता है।

मगर पिछले कुछ वर्षों से यह स्पष्ट है कि युद्ध की स्थितियों को टालने में जैसी भूमिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की होनी चाहिए, वह बिल्कुल नहीं दिखी है। उधर रूस-यूक्रेन संघर्ष जारी है, इधर इजराइल-हमास और हिजबुल्ला का संघर्ष तेज होता जा रहा है। कोरोनाकाल के बाद से पूरी दुनिया आर्थिक संकटों का सामना कर रही है। आपूर्ति शृंखलाएं बाधित हैं।

हमले में हजारों बेकसूरों की जा रही जानें

ऐसे में कुछ देशों की नाहक जिद और सनक की वजह से स्थितियां और चुनौतीपूर्ण हो रही हैं। मगर अमेरिका, ब्रिटेन आदि सुरक्षा परिषद में दबदबा रखने वाले देश अपने निजी स्वार्थों और आर्थिक समीकरणों के तहत चुप्पी साधे हुए हैं। पहले गाजा पट्टी में इजराइल ने हजारों बेकसूर लोगों को मार डाला, लाखों घर ध्वस्त कर दिए, अब वही काम लेबनान में कर रहा है। वहां के आम लोगों की जिंदगी सांसत में है। आखिर उसे मानवता का तकाजा कौन याद दिलाएगा।