इजराइल और हमास के बीच युद्ध विराम पर सहमति की घोषणा निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जब तक यह वास्तव में जमीन पर नहीं उतरेगी, तब तक फिर से जंग की आशंका बनी रहेगी। दरअसल, पिछले वर्ष मई के बाद कई बार तात्कालिक या अस्थायी युद्धविराम को लेकर पहलकदमी हुई, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद हमलों में लोगों के मारे जाने की खबरें आती रहीं। जाहिर है, यह कुछ दिनों के लिए भी युद्ध को विराम देने को लेकर प्रतिबद्धता में कमी और शांति के प्रति उपेक्षा का भाव ही रहा कि अब तक इजराइली हमलों में फिलिस्तीनी लोगों के मारे जाने की खबरें आ रही हैं।

मगर अब युद्ध विराम के सवाल पर इजराइल और हमास के बीच ताजा सहमति की खबर से इस बार शांति की राह तैयार होने की उम्मीद पैदा हुई है। फिलहाल समझौते का जो स्वरूप सामने आया है, उसके मुताबिक हमास की ओर से चरणबद्ध तरीके से इजराइली बंधकों और इजराइल में सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही, गाजा में विस्थापित लोगों को वापस लौटने की भी अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, युद्ध से प्रभावित इलाकों में मानवीय सहायता पहुंचाने की व्यवस्था होगी।

करीब डेढ़ साल चला युद्ध

गौरतलब है कि मौजूदा युद्ध की शुरूआत सात अक्तूबर, 2023 को इजराइल पर हमास के उस हमले से हुई थी, जिसमें करीब बारह सौ लोग मारे गए थे। उसके बाद हमास को जवाब देने के नाम पर इजराइल के गाजा पर हमले को एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया माना गया था। मगर तब से लेकर पंद्रह महीने बीत चुके हैं और गाजा पर इजराइल का हमला लगातार जारी है।

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एक आंकड़े के मुताबिक, इजराइल के हमले में अब तक करीब पचास हजार लोग मारे गए हैं। गाजा में बीस लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। इजराइल का कहना है कि वह हमास के आतंक का खात्मा कर देगा। लेकिन यह पड़ताल का मसला है कि इजराइल के हमले में हमास के कितने सदस्य मारे गए और कितने आम लोगों को जान गंवानी पड़ी।

युद्ध में बड़ी संख्या में मारे गए बच्चे और महिलाएं

अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में मारे गए आम लोगों में बड़ी संख्या बच्चों और महिलाओं की है, जिनका युद्ध से कोई वास्ता नहीं था। गाजा पर हमले के क्रम में अस्पताल, स्कूल और हमले से बचने के लिए पनाह लेने वाली जगहों को भी नहीं बख्शा गया। युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों का भी कोई खयाल रखना जरूरी नहीं समझा गया। इस सबके लिए इजराइल पर जनसंहार और वहां के प्रधानमंत्री पर युद्ध अपराध का आरोप भी लगाया गया।

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इजराइल और हमास के बीच युद्ध को खत्म कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र से लेकर कई स्तर पर कोशिशें जारी थीं, मगर उसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पा रहा था। अब इतने लंबे समय के बाद अगर युद्धविराम पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन सकी है तो इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि अब उसमें कोई अड़चन न खड़ी की जाए, उस पर अमल भी सुनिश्चित किया जाए और शांति निरंतरता में कायम हो।

ऐसी स्थिति फिर नहीं पैदा होनी चाहिए कि एक ओर युद्ध विराम पर सहमति की घोषणा हो और दूसरी ओर हमले और उसमें लोगों का मारा जाना जारी रहे। यह एक स्थापित हकीकत है कि किसी भी समस्या या विवाद का हल अंतहीन युद्ध नहीं हो सकता। संभव है कि इस युद्धविराम से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चली आ रही कड़वाहट पूरी तरह खत्म न हो, मगर कितने भी जटिल मसले का हल आखिर संवाद के रास्ते से ही गुजरता है।