संघर्ष विराम तोड़ने के बाद इजराइल दुबारा मनमानी पर उतर आया है। उसने ताबड़तोड़ हवाई हमले कर गाजा को फिर से दहला दिया है। इसका खमियाजा उन हजारों फिलिस्तीनी नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है जो शरणार्थी शिविरों, अस्पतालों या धार्मिक स्थलों में शरण लिए हुए हैं। यह दुखद है कि प्रतिशोध की आग में जलता इजराइल, रिहाइशी इलाकों पर भी लगातार हमले कर रहा है, क्योंकि उसका कहना है कि हमास के आतंकवादी घनी आबादी में छिपे हुए हैं। हालांकि वह अच्छी तरह वाकिफ है कि युद्ध के भी कुछ नियम हैं। मगर वह इन्हें मानने को तैयार नहीं है।
वह हमास के आतंकवादियों को मार गिराने के लिए लगातार इमारतों, अस्पतालों, विद्यालयों और शरणार्थी शिविरों को निशाना बना रहा है। बीते रविवार को दक्षिणी गाजा के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला कर इजराइल ने स्पष्ट कर दिया कि उसे मानवता से कोई लेना-देना नहीं और न ही वह कोई नियम मानेगा। हैरत की बात है कि इस मनमानी के खिलाफ दुनिया के ज्यादातर देश चुप हैं। अमेरिका ने उसे पहले ही छूट दे रखी है। नतीजा यह कि भोजन-पानी और दवाओं के अभाव में फिलिस्तीनी नागरिक रोज मर रहे हैं।
इस समय अभूतपूर्व मानवीय संकट से गुजर रहा गाजा
गाजा इस समय अभूतपूर्व मानवीय संकट से गुजर रहा है। वहां कोई मानवीय सहायता भी नहीं पहुंच पा रही है। कई महीने से चल रहे इस युद्ध में अब तक एक लाख से अधिक नागरिक घायल हो चुके हैं। पचास हजार से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। हवाई हमले की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे-महिलाएं और बुजुर्ग आए हैं। गौरतलब है कि पंद्रह हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी हैं।
मणिपुर में टकराव के नए कारक हो रहे पैदा, नए क्षेत्रों में हिंसा का हो रहा विस्तार
युद्ध की आग में तप रहे गाजा में जिस तरह मानवाधिकारों का हनन हो रहा है, वह बेहद शर्मनाक है। मानवाधिकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले ज्यादातर बड़े देश चुप हैं, तो आखिर इसकी वजह क्या है और क्या उन्होंने इजराइल को मनमानी की अनुमति दे दी है? क्षत-विक्षत हो रहे गाजा को पूरी दुनिया देख रही है। युद्ध हमेशा विनाश की ओर ले जाता है। इजराइल आखिर कब तक मनमानी करता रहेगा? प्रतिशोध की भी एक सीमा है।