युद्ध के उन्माद में संवेदना खत्म हो रही है। इजराइल व ईरान एक-दूसरे के ठिकानों पर हमला करने में अमानवीयता की सारी हदें लांघ रहे हैं। ईरान ने समूची नैतिकता को ताक पर रखते हुए इजराइल के मुख्य अस्पताल को निशाना बनाया है। ज्यादा दिन नहीं हुए जब इजराइल ने युद्ध के सभी नियमों को ताक पर रख कर दक्षिणी गाजा के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला कर कई लोगों को जख्मी कर दिया था।
युद्ध की आग में गाजा को लगातार झुलसाने वाले इस देश को गुरुवार तड़के ठीक उन्हीं परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कोई दो राय नहीं कि युद्ध हमेशा विनाश की ओर ले जाता है। दो देशों के बीच प्रतिशोध की आग बेकसूर नागरिकों को ही झुलसाती है। दुनिया ने यह दृश्य कई बार देखा है।
सैन्य हमले के दौरान इजराइल ने कभी नहीं देखा कि वह शरणार्थी शिविरों पर बम गिरा रहा है या अस्पतालों पर। नागरिक ठिकानों पर कितनी मौतें होंगी और बच्चों-महिलाओं तथा बुजुर्गों पर क्या गुजरेगी। उसे कभी मानवीय संवेदना की परवाह नहीं रही।
दूसरी ओर इजराइल के भीषण हमले के जवाब में ईरान की सैन्य कार्रवाई से साबित हो गया कि वह भी उतना ही असंवेदनशील है। दक्षिणी इजराइल के मुख्य अस्पताल को निशाना बना कर उसने स्पष्ट कर दिया कि वह भी युद्ध नियमों को नहीं मानता। कुछ मिसाइलें इमारतों पर गिरीं, जिससे कई नागरिक घायल हो गए।
ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को अपने अस्तित्व के लिए खतरा बता कर इजराइल ने जिस तरह से उसके साथ युद्ध छेड़ा है, इसके नतीजे बेहद गंभीर हो सकते हैं। दुनिया के बड़े हिस्से में इसका असर दिख सकता है। ईरान की इस चेतावनी को गंभीरता से लेने की जरूरत है कि अगर अमेरिका युद्ध में कूदा तो भीषण तबाही होगी। तेहरान खाली करने की अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी और ईरानी नेतृत्व के बयान से लगता है कि इजराइल के साथ उसका सैन्य टकराव तीक्ष्ण रूप से बढ़ेगा।
स्वाभाविक है कि इस युद्ध के जख्म गहरे होंगे। इसकी कीमत वे नागरिक ही चुकाएंगे] जिनका युद्ध से कोई संबंध नहीं। न जाने कितने बच्चे अनाथ होंगे।