पश्चिम एशिया में दो धुर-विरोधी देश आमने-सामने हैं। ईरान पर इजराइल के भीषण हमले और उसके बाद ईरान की जवाबी कार्रवाई से एक और युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। दरअसल, इजराइल को लगता है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है। जबकि ईरान का दावा है कि यह नागरिक उद्देश्य के लिए है। मगर, बताया जा रहा है कि ईरान ने इस स्तर तक यूरेनियम संवर्धित कर लिया है कि वह अब परमाणु बम बनाने की स्थिति में है।
इजराइल का दावा है कि इसी खतरे को ध्यान में रखते हुए हमला किया गया। अब सवाल यह है कि क्या ईरान सचमुच परमाणु बम बनाने में सक्षम हो गया है? बहरहाल, तमाम आशंकाओं के बीच इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को जिस तरह निशाना बनाया, जाहिर है ईरान की ओर से भी जवाबी कार्रवाई होनी थी और ऐसा हुआ भी। इससे अब दुनिया में एक और बड़े युद्ध की संभावना बढ़ गई है। इजराइल के हमले में ईरान के तीन शीर्ष सैन्य अधिकारियों सहित कई वैज्ञानिकों की मौत हो गई। यह उसके लिए बड़ा झटका है। दोनों देशों के नेताओं के आक्रामक बयानों से पूरी दुनिया में चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
अपना परमाणु कार्यक्रम बढ़ाने में जुट गया ईरान
ईरान ने कहा है कि इजराइल को कड़ी सजा दी जाएगी। उधर, अमेरिका की चिंता स्वाभाविक है। ईरान से परमाणु समझौते से अलग होने के बाद उसे उम्मीद थी कि वह दबाव में आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ईरान उल्टे अपना परमाणु कार्यक्रम बढ़ाने में जुट गया। ऐसे में अमेरिका के सामने यह चुनौती तो रहेगी कि वह मध्य पूर्व क्षेत्र में तैनात अपने सैनिकों को सुरक्षित कैसे रखे। उधर, इजराइल का इरादा ईरान के परमाणु कार्यक्रम स्थलों को पूरी तरह ध्वस्त कर देने का है।
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उन्हीं ठिकानों पर पिछले दिनों उसने हमले भी किए। भारत इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है। इन दोनों देशों से भारत के रिश्ते हैं। ऐसे में भारत की यह सलाह उचित है कि दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए संवाद और कूटनीतिक माध्यम का इस्तेमाल करना चाहिए।