इंटरनेट का चलन शुरू होने के बाद ज्ञान और विमर्श की दुनिया काफी सहज और विस्तृत हो गई थी। कहा गया कि यह दुनिया के सबसे बड़े पुस्तकालय के रूप में काम करेगा। यहां तमाम सूचनाएं, अध्ययन, विचार-विमर्श, ज्ञानात्मक सामग्री एक बटन दबाने भर से उपलब्ध हो जाएंगे। निस्संदेह ऐसा हुआ भी। मगर जिस तरह सूचनाओं का आदान-प्रदान एक बड़े व्यवसाय के रूप में आकार लेता गया, उसमें नकल और चोरी बढ़नी शुरू हो गई।

भ्रामक, आधी-अधूरी, भड़काऊ, उत्तेजना पैदा करने वाली जानकारियों की भरमार होती गई। इंटरनेट पर विकिपीडिया नामक मंच इसी मकसद से शुरू किया गया था कि वहां व्यक्तियों, घटनाओं, इतिहास, भूगोल, विज्ञान के विभिन्न अनुशासनों आदि से संबंधित तमाम जानकारियां एक जगह उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इस मकसद में यह मंच काफी सफल भी हुआ।

तोड़-मरोड़ कर भ्रामक ढंग से सच्चाई को किया जा सकता है पेश

मगर चूंकि इसे एक खुले मंच के तौर पर विकसित किया गया है, कोई भी व्यक्ति उससे जुड़ कर वहां उपलब्ध सामग्री को संपादित कर सकता है। उसके गलत तथ्यों को दुरुस्त कर या नए तथ्य जोड़ सकता है, इसमें मनमानी के अवसर अधिक हैं। कोई भी व्यक्ति अपने विचारधारात्मक दुराग्रहों के चलते तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है, उन्हें तोड़-मरोड़ कर या भ्रामक ढंग से पेश कर सकता है। ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं और यह सिलसिला लगातार बढ़ता देखा जा रहा है।

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चूंकि बहुत सारे लोग पुस्तकालयों की खाक छानने, मूल पुस्तकों या दस्तावेजों को खंगालने के बजाय विकिपीडिया जैसे इंटरनेट माध्यमों को सुगम मानने लगे हैं, वे वहां मौजूद भ्रामक और गलत जानकारियों को सही मान कर तथ्य रूप में पेश करते देखे जाते हैं। इससे कई बार विचित्र स्थिति पैदा हो जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष वकीलों को स्पष्ट हिदायत दी थी कि वे कानूनों का हवाला देने के मामले में विकिपीडिया पर निर्भर न रहें, मूल स्रोतों का ही उपयोग करें।

केंद्र सरकार ने विकिपीडिया को लिखा पत्र

तब भी विकिपीडिया की जवाबदेही रेखांकित हुई थी। अब केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने विकिपीडिया को पत्र लिख कर पूछा है कि आपको क्यों न सूचना प्रदाता मंच के बजाय एक प्रकाशक माना जाए। देखना है, विकिपीडिया इस पर क्या जवाब देता है। पर हकीकत यही है कि विकिपीडिया अपने स्वरूप में एक प्रकाशक की तरह ही काम करता है। प्रकाशक को सूचना और बौद्धिक संपदा से जुड़े कानूनों का पालन करना अनिवार्य होता है। इस तरह वह अपने किसी भी प्रकाशन के प्रति कानूनी रूप से जवाबदेह होता है। विकिपीडिया उन जवाबदेहियों से मुक्त है।

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कोई भी ऐसा मंच, जो ज्ञान की एक शाखा के रूप में काम करता है, उसे इस तरह मुक्त नहीं छोड़ा जा सकता कि वह तथ्यों का मनमाना उपयोग करे। विकिपीडिया का सर्वाधिक उपयोग विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, शोध संस्थानों आदि से संबद्ध लोग करते हैं। ऐसे लोगों के लिए विकिपीडिया एक संदर्भ कोश की तरह उपलब्ध है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर लोग गलत तथ्यों का उपयोग करते होंगे तो आने वाली कितनी पीढ़ियों पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता होगा।

विकिपीडिया पर अनेक व्यक्तियों, महापुरुषों, ऐतिहासिक घटनाओं तक से संबंधित गलत सूचनाएं उपलब्ध हैं। इसकी जवाबदेही तय होनी ही चाहिए। देर से ही सही, सरकार ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ाया है, तो इसमें कुछ बेहतर नतीजे की उम्मीद जगी है। कमाई के लोभ में किसी भी मंच को निरंकुश व्यवहार की इजाजत क्यों होनी चाहिए।