आमतौर पर शांत समझा जाने वाला लंदन बुधवार को आतंकी हमले का गवाह बना, जिसमें न केवल ब्रिटिश संसद की सुरक्षा खतरे में पड़ गई, बल्कि एक पुलिस अधिकारी समेत चार व्यक्तियों की मौत हो गई और करीब तीन दर्जन लोग घायल हो गए, जिनमें से कइयों की हालत गंभीर बनी हुई है। आखिरकार स्थिति बिगड़ती देख सुरक्षाकर्मियों ने आतंकी को गोली मारकर ढेर कर दिया। इस भयावह घटना के बाद, स्वाभाविक ही सारी दुनिया में तहलका मच गया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस घटना पर चिंता जताई है और ब्रिटिश सरकार के साथ एकजुटता दिखाई है। हालांकि हमलावर के बारे में कोई विस्तृत ब्योरा जारी नहीं किया है, लेकिन ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेजा मे ने वहां की संसद में कहा कि वह ब्रिटेन में ही पैदा हुआ था और कुछ साल पहले खुफिया एजेंसी एमआई-5 ने उसके बारे में जांच की थी। फिलहाल खुफिया एंजेसी उस पर नजर नहीं रख रही थी।
इस बीच सुरक्षा बलों ने आठ संदिग्धों को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। लंदन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमलावर अकेला ही था और शायद वह अंतरराष्ट्रीय इस्लामी आतंकवाद से प्रेरित रहा हो। इसकी जांच की जा रही है। इस बीच कुछ समाचार एजेंसियों ने आइएस द्वारा इस घटना की जिम्मेदारी लेने का दावा किया है। इस दावे के बारे में ब्रिटिश सरकार की ओर से फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है। घटना की गंभीरता और भयावहता इसलिए बढ़ जाती है कि हमला ब्रिटिश संसद के नजदीक हुआ। हालांकि हमलावर अकेला था, फिर भी उसने बुधवार को अपराह्न दो बजे संसद के मुख्य द्वार पर तैनात एक पुलिस अधिकारी को चाकू घोंप कर मार डाला तथा संसद में घुसने की कोशिश की। इससे पहले, उसने बगल में स्थित प्रसिद्ध वेस्टमिंस्टर ब्रिज की फुटपाथ पर पैदल चल रहे यात्रियों के ऊपर कार चढ़ा दी, जिसमें एक महिला सहित चार व्यक्तियों की मौत हो गई और तीन दर्जन लोग घायल हो गए। घटना के वक्त संसद की कार्यवाही चल रही थी और प्रधानमंत्री के अलावा करीब दो सौ सांसद भी अंदर थे।
फौरन हाउस आॅफ कामन्स को सील कर दिया गया और प्रधानमंत्री को सुरक्षित स्थल पर पहुंचाया गया। प्रधानमंत्री मे ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा भी है कि लंदन ऐसे हमलों से डरने वाला नहीं है। गौरतलब है कि इससे पहले फ्रांस और अमेरिका में इससे भी बड़े आतंकी हमले हुए हैं, जिनकी जिम्मेदारी कुख्यात आईएस ने ली थी। कई मामलों में उसका हाथ पाया भी गया था। यह हमला भी आईएस के तौर-तरीकों से काफी-कुछ मेल खाता है। ऐसे हमलों की एक बड़ी पहचान यह है कि ज्यादातर ऐसे लोग इन्हें अंजाम देते हैं जो या तो अकेले होते हैं या फिर छोटे-मोटे समूहों में। उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को हानि पहुंचाना होता है। आमतौर पर वे किसी आत्मघाती दस्ते की तरह काम करते हैं। अगर यह घटना सचमुच आईएस की कारगुजारी है तो पश्चिमी यूरोप के लिए और भी ज्यादा खतरे की घंटी है। भारत अरसे से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मसला उठाता रहा है। लंदन में हुए ताजा हमले से जाहिर है कि आतंकवाद कहीं भी कहर बरपा सकता है। इससे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सिर्फ सूचनाओं के आदान-प्रदान की नहीं, कार्रवाई व रणनीति की भी दरकार है।