अक्सर अनधिकृत रूप से, चोरी-छिपे या गलत दस्तावेजों और चालबाज बिचौलियों की मार्फत परदेस पहुंचे लोगों को संकट का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर वैसी स्थिति में जब वैसे देशों के बीच युद्ध छिड़ा हो, जहां वे बाहर से गए हों तो उसकी मार अलग से झेलनी पड़ती है। कई लोग नाहक ही मारे जाते हैं। ऐसे समय में भारतीय विदेश मंत्रालय के लिए उन्हें वहां से निकालना कठिन काम हो जाता है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में फंसे ऐसे ही लोगों को निकालने के लिए विदेश मंत्रालय काफी समय से जद्दोजहद कर रहा है।
अभी मंत्रालय ने कहा है कि वहां रूस-यूक्रेन मोर्चे पर अब तक बारह भारतीय मारे जा चुके हैं, सोलह लापता हैं, एक का इलाज चल रहा है। कुछ महीने पहले पता चला कि बिचौलियों के जरिए भारत से बड़ी संख्या में ऐसे युवक रूस गए हैं, जिन्हें भर्ती तो किसी और काम के लिए किया गया था, मगर वहां पहुंचने के बाद उन्हें रूसी सेना में भर्ती करा कर यूक्रेन के साथ छिड़ी जंग में भेज दिया गया। जब उनके परिजनों को इस बात की खबर मिली, तो उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय से वापस लाने की गुहार लगाई। जांच से पता चला कि ऐसे एक सौ छब्बीस युवकों को जंग में झोंक दिया गया था। विदेश मंत्रालय की अपील पर रूस सरकार ने छियानबे भारतीय नागरिकों को वापस भेज दिया।
रोजगार की तलाश में जाते हैं युवा
ऐसे मामले अन्य देशों में भी देखे जा चुके हैं। रोजगार की तलाश में बहुत सारे युवा अनधिकृत रूप से दूसरे देशों में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं। कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों से तो इस तरह अनधिकृत प्रवेश करने वाले अनेक लोगों के मारे जाने की खबरें भी आती हैं। खाड़ी देशों में भी इसी तरह बहुत सारे युवक जाते और वहां बंधक बना लिए जाते हैं। इन मामलों के मद्देनजर भारत सरकार लगातार अपील करती रहती है कि विदेश जाते समय अपना पंजीकरण अवश्य कराएं, ताकि आपके बारे में यहां सही-सही जानकारी उपलब्ध रहे और किसी संकट के समय वहां से निकालना आसान हो।
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बिचौलियों और फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल से भी सावधान करती रही है, मगर हकीकत यह है कि हर वर्ष हजारों लोग इस अपील को धता बताते हुए विदेश जाने का प्रयास करते हैं। इसकी वजहें सरकार को भी पता हैं और यह भी छिपी बात नहीं है कि ऐसे लोगों की ख्वाहिशों का लाभ उठाने वाले बिचौलियों पर अंकुश नहीं लगाया जा पा रहा। जब पंजाब में ‘कबूतरबाजी’ के बढ़ते मामले प्रकाश में आए थे, तब सरकार ने ऐसे बिचौलियों पर अंकुश लगाने की पहल की थी, मगर वह पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई है।
संपन्न देशों में जाने के लिए मुंहमांगी रकम खर्च करते हैं लोग
यह भी विचार करने का विषय है कि क्यों हमारे देश से बड़ी संख्या में युवा विदेश का रुख करते हैं। यह केवल ऊंची डिग्रियां हासिल कर चुके युवाओं के साथ नहीं है, छोटे-मोटे काम की चाह में भी बहुत सारे युवा दूसरे देशों का रुख कर लेते हैं। सब जानते हैं कि यहां रोजगार के पर्याप्त अवसर और आमदनी का साधन न होने के कारण, थोड़ी बेहतर जिंदगी की उम्मीद लिए लाखों युवा हर वर्ष ऐसे देशों में भी जाने का प्रयास करते हैं, जहां कोई खास कमाई के अवसर नहीं हैं।
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थोड़े संपन्न माने जाने वाले देशों में प्रवेश पाने के लिए तो मुंहमांगी रकम खर्च करने को तैयार देखे जाते हैं। अच्छी बात है कि सरकार दूसरे देशों में संकट में फंसे लोगों को वापस लाने के संजीदा प्रयास करती है, मगर जब तक रोजगार के मोर्चे पर मुस्तैदी नहीं दिखेगी, लोग परदेस में पीड़ा झेलने को मजबूर होते रहेंगे।
