अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के दौर में भारत और न्यूजीलैंड के बीच सहयोग की जो नई संभावनाएं बनी हैं, वे कई लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं। गौरतलब है कि न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान सोमवार को दोनों देशों के बीच रक्षा, शिक्षा, खेल, बागवानी, वानिकी के क्षेत्रों में अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते की ओर कदम बढ़ाने का निर्णय लिया गया, ताकि आपसी व्यापार और निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा दिया जा सके।
रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को मजबूत और संस्थागत बनाने के फैसले के तहत संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण के साथ-साथ रक्षा उद्योग में सहयोग की संभावनाएं बनाई जाएंगी। कूटनीति के समांतर सौहार्द के मोर्चे को भी मजबूत करने के लिए अगले वर्ष दोनों देशों के बीच खेल संबंधों के सौ वर्ष पूरा होने का उत्सव मनाने का भी निर्णय लिया गया है।
अवैध तत्त्वों के खिलाफ न्यूजीलैंड सरकार ने कार्रवाई की
आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरपंथ वैश्विक स्तर पर आज जटिल समस्या बन चुके हैं। ऐसे में सीमित स्तर पर ही सही, न्यूजीलैंड में कुछ अवांछित तत्त्व जिस तरह भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां चलाते रहे हैं, वह एक बड़ी चिंता का कारण रहा है। हालांकि ऐसे अवैध तत्त्वों के खिलाफ न्यूजीलैंड सरकार ने कार्रवाई की है, लेकिन अब इस मसले पर सहयोग को और मजबूत करने की कोशिश होगी। ऐसे में भारत और न्यूजीलैंड के बीच साझेदारी आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की एक अहम कड़ी है।
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इसके अलावा, भारत और न्यूजीलैंड के बीच समूचे हिंद-प्रशांत जैसे बड़े क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति और इसके विकास में सहयोग के मुद्दे सहित रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से उपजे परिणामों के मसले पर पहले से संभावनाओं की तलाश जारी थी, लेकिन दोनों देशों के बीच हुई ताजा वार्ता के बाद सहयोग के मोर्चे पर तस्वीर ज्यादा साफ हुई है। भारत के लिहाज से यह समझौता इसलिए ज्यादा मायने रखता है कि फिलहाल वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले देशों के बीच जिस स्तर की कूटनीतिक खींचतान चल रही है, उसमें भारत के लिए अपनी स्थिति को अलग-अलग स्तर पर मजबूत करना वक्त का तकाजा है।