भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के संबंध में कुछ सकारात्मक संकेत सामने आ रहे हैं, लेकिन इस बीच कुछ आशंकाएं भी जताई जा रही हैं कि क्या इस बातचीत में परस्पर समानता पर आधारित हित सुनिश्चित होने और एक संतुलित समझौते की राह साफ होगी। गौरतलब है कि प्रस्तावित व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की कोशिश के तहत अमेरिकी दल वार्ता के लिए भारत में है। इसी बीच अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीयर ने कहा कि व्यापार समझौते के संदर्भ में भारत की ओर से ‘अब तक के सबसे अच्छे प्रस्ताव’ मिले हैं।

माना जा रहा है कि इस बयान का उद्देश्य अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए शुल्क से उपजे गतिरोध को दूर करने की कोशिश करना है। इसकी वजह यह है कि एकतरफा और मनमानी शुल्क नीति के जरिए दबाव बनाने की कोशिश के समांतर व्यापार समझौते के लिए वार्ता में सकारात्मक नतीजों की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिर व्यापार वार्ता में गतिरोध की एक मुख्य वजह ही अमेरिका की नई शुल्क नीति रही है। इसलिए यह देखने की बात होगी कि इस मसले पर अमेरिका के रुख में कितना बदलाव आ पाता है।

दरअसल, व्यापार वार्ता के सकारात्मक दिशा में बढ़ने के मद्देनजर जारी कोशिशों के तहत ही भारत और अमेरिका के बीच पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते का सवाल अब एक मुख्य बिंदु है। इससे पहले अमेरिका का रवैया आमतौर पर यही सामने आ रहा था कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो, लेकिन उसकी शर्तों पर। इसी क्रम में उसने शुल्क लगाने के फैसले को दबाव के एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया। उसकी यह मंशा अधूरी रही, क्योंकि नुकसान की तमाम आशंकाओं के बावजूद भारत ने इस मसले पर अपना स्वतंत्र रुख बरकरार रखा।

इसके बावजूद, यह हकीकत है कि अमेरिका के शुल्क लगाने से उपजी परिस्थिति अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य पर विपरीत प्रभाव तो डाल ही रही थी। भारत के सामने भी कुछ चुनौतियां खड़ी होने की आशंका बनी रहीं। इसलिए भारत ने थोड़ा व्यावहारिक नीति पर आगे बढ़ते हुए अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने में रुचि दिखाई है, लेकिन इसके पीछे समानता आधारित समझौते की अपेक्षा भी है।

अमेरिकी शुल्कों में कटौती, भारतीय उत्पादों के अमेरिकी बाजार में आसान प्रवेश, रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी, दवा और सेमीकंडक्टर उद्योग आदि व्यापार वार्ता के मुख्य मुद्दों में शामिल हो सकते हैं। मुश्किल वहां आ सकती है, जिसमें अमेरिका भारत से कृषि, डेयरी और डिजिटल नीति के संदर्भ में कई महत्त्वपूर्ण रियायतों पर जोर दे रहा है।

जाहिर है, भारत के लिए थोड़ा सजग रहने का वक्त है, क्योंकि अमेरिका के साथ वार्ता में खासतौर पर कृषि क्षेत्र से जुड़े कई सवाल उभरे हैं। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने अपने यहां के किसानों की आमदनी कम होने के लिए कुछ अन्य देशों सहित भारत के चावल की बिक्री को जिम्मेदार ठहराया।

दूसरी ओर, अगर अमेरिका अपना मक्का, गेहूं, कपास और सोयाबीन जैसे उत्पाद भारतीय बाजारों में निर्यात करता है, तो इससे भारत के छोटे किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा पर विपरीत असर पड़ सकता है। इसी तरह, किसी समझौते की स्थिति में भारत को कृषि और जेनेटिकली माडिफाइड, यानी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर भी छूट देने के मामले में सतर्क रहने की जरूरत है।

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