पर्व-त्योहार के मौसम की शुरुआत के मद्देनजर महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है। जुलाई की तुलना में अगस्त के दौरान खाद्य वस्तुओं, सब्जियों की कीमतों में कुछ गिरावट आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 6.83 फीसद पर आ गई, जो इससे पहले जुलाई में पंद्रह महीने के उच्चतम स्तर 7.44 फीसद पर थी।

हालांकि यह भी बहुत खुश होने जैसी स्थिति नहीं है, क्योंकि यह अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित दो फीसद घट-बढ़ के साथ छह फीसद के दायरे से ऊपर है। खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर भी कम हुई है, जो जुलाई के 11.51 फीसद से घट कर अगस्त में 9.94 फीसद पर आ गई है। अगस्त में सब्जियों की महंगाई दर नरम पड़ कर 26.14 फीसद रही जो जुलाई में 37.4 फीसद थी। तेल और वसा उत्पादों, मांस, मछली, अंडा और चीनी आदि की कीमतें भी घटी हैं। जाहिर है, स्थिति पहले के मुकाबले सुधरी है। हालांकि यह अभी भी बहुत अच्छी नहीं है।

दरअसल, खाद्य वस्तुओं एवं सब्जियों की कीमतों को लेकर स्थानीय बाजारों का जायजा लें तो सरकारी आंकड़े से इतर तस्वीर दिखती रही है। फल और सब्जी विक्रेता के समक्ष आम आदमी कसमसाता, जेब टटोलता ही नजर आता है। उसकी जेब अभी भी खुलकर खरीदारी की इजाजत नहीं दे रही है। कुछ समय पहले ढाई सौ रुपए प्रति किलो तक बिके टमाटर की कीमतों में जरूर काफी राहत देखी गई, लेकिन कई आम उपयोग में आने वाली हरी सब्जियां बाजार में साधारण लोगों की क्रय शक्ति की सीमा से बाहर ही रहीं।

अब खुदरा बाजार के ताजा आंकड़े थोड़ी राहत का संकेत दे रहे हैं। इसे आम उपभोक्ताओं के लिहाज से अच्छा माना जा सकता है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार की जरूरत है। कुछ हरी सब्जियों की कीमतें अब भी ऊंची हैं। हर घर में इस्तेमाल में आने वाला अदरक और लहसुन कीमतों के लिहाज से इस समय महंगा ही कहा जा सकता है। दूसरी ओर, आटा, चावल, गर्म मसाले और दालों की कीमतें चुपचाप बढ़ती जा रही हैं, लेकिन खाद्य तेल में कुछ नरमी जरूर आई है।

हालांकि सरकार अपने स्तर पर कीमतों को काबू करने के प्रयास कर रही है। उसने गेहूं, चावल का भंडार खुले बाजार में जारी करने, चीनी के निर्यात पर रोक लगाने और दलहन-तिलहन के आयात की अनुमति देने जैसे अनेक कदम इस दिशा में उठाए हैं। खुदरा महंगाई दर पर इसका असर भी देखने को मिला है। अच्छी बात है कि आम लोगों को थोड़ी राहत मिलने लगी है।

बाजार विशेषज्ञ भी आश्वस्त हैं कि आने वाले महीनों में महंगाई में और गिरावट देखने को मिलेगी। मगर ध्यान रखने की जरूरत है कि त्योहारों के मौके पर अगले दो महीने में लोगों को सब्जी, आटा-दाल के अलावा कई अन्य चीजों पर भी पैसा खर्च करना होगा। इस लिहाज से महंगाई की आग पर अगर कुछ पानी पड़ता है तो यह निश्चित रूप से गरीब तबके के लिए राहत देने वाला होगा।

आम आदमी को सरकारी आंकड़ों से बहुत अधिक लेना-देना नहीं होता। उसे प्रतिदिन बाजार से खाने-पीने के सामान की दुकान या अपने सब्जी विक्रेता से जूझना पड़ता है। सरकार को ऐसे उपाय खोजने होंगे कि सब्जियां और खाद्य वस्तुएं लोगों की पहुंच से बाहर न जाएं, क्योंकि महंगाई मध्य और निम्न वर्ग के महीने के बजट को सीधे प्रभावित करती है और इस समय इस बजट को संतुलित करने में उसे खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।