इस वर्ष चीन में हांगझाउ एशियाई खेलों में भारत की ओर से अलग-अलग खेलों के लिए जब टीमों को भेजा जा रहा था, उस समय यह संकल्प साफ दिख रहा था कि अब मैदान में सिर्फ जीतने के लिए नहीं, बल्कि उससे आगे के सफर के लिए जमीन बनाने की कोशिश होगी। इस आयोजन की समाप्ति के बाद पदक तालिका में भारत को जो जगह मिली, वह उम्मीद के अनुरूप थी, लेकिन उससे अहम बात यह है कि लगभग सभी प्रतियोगिताओं में हमारे खिलाड़ियों ने जो दमखम दिखाया, वह भविष्य की अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में एक मजबूत दखल का संकेत देता है।
गौरतलब है कि एशियाई खेलों के लिए खिलाड़ियों को रवाना करने से पहले ही ‘इस बार सौ पार’ का नारा दिया गया था। उस नारे में छिपे हौसले और उम्मीद को भारतीय खिलाड़ियों ने पूरा करके अपनी क्षमता साबित की। एशियाई खेल 2023 में भारत ने कुल एक सौ सात पदक जीते। यह पहली बार है जब भारत ने किसी एशियाई खेल में इतने पदक हासिल किए। इससे पहले भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन सत्तर पदकों का था, जो 2018 में जीते गए थे।
इस वर्ष उपलब्धियों की शुरुआत निशानेबाजी में महिलाओं की दस मीटर एअर राइफल टीम ने की, जिसे रजत पदक मिला। पहले दिन भारतीय खिलाड़ियों ने पांच पदक जीते। एक अच्छी शुरुआत को और बेहतर करते हुए दूसरे दिन एअर राइफल में ही पुरुष टीम ने पहला स्वर्ण पदक जीता और इस दिन भारत के पदकों की संख्या ग्यारह हो गई। इसके बाद अन्य खेलों में भी भारत के खिलाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन किए और मैदान में जीत दर्ज करते गए।
घुड़सवारी, तीरंदाजी, मुक्केबाजी, टेनिस, स्क्वैश, नौकायन, भाला फेंक, एथलेटिक्स आदि कई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने मजबूत चुनौतियों का सामना करते हुए कांस्य, रजत और स्वर्ण पदक अपने हिस्से किया और इस तरह पदकों की तालिका में देश को एक सम्मानजनक पायदान पर पहुंचाया।
इस बार खासतौर पर भारत की पुरुष हाकी पर सबकी नजर थी, जिसके सामने कई मजबूत टीमों की चुनौती थी। फाइनल में जापान को भारतीय जीत की राह में एक ठोस दीवार माना जा रहा था। मगर भारतीय हाकी टीम ने इस प्रतियोगिता में अपने दमखम की निरंतरता को कायम रखा और फाइनल में जापान को एक के मुकाबले पांच गोल से हरा कर चौथी बार खिताब अपने नाम किया।
हालांकि इससे पहले भी भारत ने तीन बार एशियाई खेलों में हाकी का स्वर्ण पदक जीता था। खासतौर पर हाकी के लिहाज से देखें तो ताजा उपलब्धि के साथ भारत ने अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने का अधिकार हासिल कर लिया है। गौरतलब है कि अगर किसी वजह से भारत स्वर्ण पदक का खिताब नहीं जीत पाता तो उसे ओलंपिक में शामिल होने के लिए कई स्तर के क्वालिफाइंग दौर की मुश्किल राह को पार करना पड़ता।
इसके अलावा, इस आयोजन में भारत की महिला क्रिकेट टीम का स्वर्ण पदक जीतना इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि अब क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वैश्विक खेल का आयाम हासिल करने में मदद मिलेगी। हांगझाउ एशियाई खेलों में भारत ने जो इतिहास रचा, वह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अब भारतीय खिलाड़ियों को महज औपचारिक उपस्थिति से आगे एक चुनौती की तरह देखा जाएगा। इसके बाद स्वाभाविक ही आगामी ओलंपिक में यह उम्मीद ज्यादा ऊंचे स्तर पर होगी कि हमारे खिलाड़ी उसमें भी एशियाई खेलों की चमक को बरकरार रखेंगे और इससे बेहतर उपलब्धियां देश के नाम करेंगे।
