हरियाणा सरकार यह दावा करती रही है कि उसने कानून-व्यवस्था की स्थिति को पूरी तरह चौकस और दुरुस्त रखा है। लेकिन आए दिन होने वाले अपराध और उससे निपटने में पुलिस की लापरवाही के बढ़ते मामले यह बताते हैं कि राज्य सरकार आपराधिक घटनाओं को रोकने के मामले में नाकाम साबित हो रही है। खासतौर पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारे की शुरुआत वाले इस राज्य में बेटियों की सुरक्षा जोखिम में है।

हाल ही में जींद में एक महिला से बलात्कार के मामले में ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर पहले ही पुलिस पर गंभीर सवाल उठ रहे थे। लेकिन ऐसा लगता है कि लापरवाही पुलिस की कार्यशैली में घुल गई है। मंगलवार को बल्लभगढ़ में सरेआम जिस तरह एक युवती की गोली मार कर हत्या कर दी गई, उससे साफ है कि आपराधिक तत्त्वों के भीतर पुलिस का कोई खौफ नहीं रह गया है। वरना क्या वजह है कि सड़क पर कार खड़ी कर आरोपी ने बिना किसी बाधा के लड़की के कॉलेज से निकलने का बाकायदा इंतजार किया और लोगों की आवाजाही के बीच उसका अपहरण करने की कोशिश की! जब लड़की ने विरोध जताया तो उसने वहां मौजूद लोगों के सामने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी।

सरेआम हुई इस हत्या के पीछे अपराधियों के बेखौफ होने के सिवा और क्या कारण हो सकता है? बाद में यह जानकारी सामने आई कि मुख्य आरोपी का परिवार राजनीति में खासा दखल रखता है और इससे पहले भी वह आपराधिक घटनाओं में लिप्त रहा है। करीब दो साल पहले भी आरोपी ने इसी लड़की का अपहरण कर लिया था और उसके खिलाफ मामला भी दर्ज कराया गया था।

लेकिन किन्हीं वजहों से दोनों पक्षों के बीच समझौता करा कर मामले को रफा-दफा करा दिया गया। और अब उसी आरोपी ने अपने साथ जाने से मना करने की वजह से लड़की को मार डाला। सवाल है कि आखिर पहले अपराध के समय ही आरोपी के साथ क्यों ऐसी रियायत बरती गई कि अब उसने हत्या तक कर डालने का दुस्साहस कर लिया! ऐसा अक्सर होता है जब कोई मामला तूल पकड़ लेता है तब जाकर पुलिस और प्रशासन की नींद खुलती है और वह औपचारिकता निभाने के लिए कार्रवाई करती दिखती है। इस मामले में भी पुलिस ने मुख्य आरोपी और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन अगर यह सक्रियता पहले दिखाई गई होती तो शायद यह वारदात हुई ही नहीं होती!

इसी साल के शुरू में राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि पिछले दो-तीन सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर में बढ़ोतरी हुई है। जाहिर है, महिला सुरक्षा को लेकर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारे से लेकर महिलाओं के हक में काम करने के सरकार के तमाम दावों के बरक्स सच यह है कि राज्य में महिलाएं लगातार असुरक्षित होती जा रही हैं।

बल्लभगढ़ की ताजा घटना के पहले सोमवार की रात भी पानीपत में एक फैक्ट्री में काम कर घर लौटती महिला पर दो युवकों ने तेजाब फेंक दिया। खबर के मुताबिक इस महिला ने करीब छह महीने पहले छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसे रफा-दफा कर दिया गया था। यह कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने का हवाला देने वाली पुलिस का रवैया है, जिसकी वजह से अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है।

सवाल है कि ऐसे में बेटियां कैसे बचेंगी और कैसे पढ़ेंगी? आखिर महिलाओं के लिए सुरक्षित, भयमुक्त और सहज माहौल मुहैया कराना किसकी जिम्मेदारी है? यह बेवजह नहीं है कि पिछले कुछ सालों के दौरान कई बड़ी घटनाओं में बरती गई लापरवाही की वजह से राज्य सरकार को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा है।