एक दिन में अभूतपूर्व उछाल के साथ सोने का भाव बढ़ कर एक लाख रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया। जिस तरह इसकी कीमत में लगातार तेजी का रुख बना हुआ था, उससे इसके इस स्तर पर पहुंचने का अनुमान पहले से लगाया जा रहा था। सोने की कीमत बढ़ने की कुछ वजहें साफ हैं। अमेरिकी शुल्क नीति के कारण जिस तरह दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता का वातावरण है, उसमें सोने की कीमत बढ़नी तय थी। दूसरे, बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती कर रखी है, जिससे आम लोगों को बैंकों में पैसे रखने के बजाय सोने में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद लगने लगा है। इस वजह से लोग सोना अधिक खरीदने लगे हैं।

इसके अलावा, डॉलर की कीमत कम होने से भी विदेशी निवेशकों के लिए सोना खरीदना सस्ता हो गया है। फिर, विभिन्न देशों में संघर्ष के चलते पैदा हुई आर्थिक अनिश्चितता के कारण कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने भारी मात्रा में सोना खरीद कर जमा करना शुरू कर दिया है।

बीते कुछ समय से सोने की मांग न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में बढ़ी है। मगर इसके बरक्स सोने के खनन में कमी आई है। जब उत्पादन कम होता है और मांग बढ़ती है, तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ती ही हैं। इसलिए यह अकारण नहीं है कि पिछले साढ़े तीन महीनों में ही सोने की कीमत में करीब छब्बीस फीसद की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोने की कीमत में बढ़ोतरी का रुख अभी बना रहेगा और यह सवा लाख रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकती है।

निस्संदेह इससे निवेशकों को तो लाभ होगा, मगर आम लोग जो शादी-विवाह के अवसर पर सोने की खरीद करते हैं, उनके सामने कठिन स्थिति पैदा हो गई है। इसके अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव नजर आएंगे। जिस तरह पिछले दो वर्षों में सोना गिरवी रख कर कर्ज लेने का आंकड़ा हैरान करने वाली गति से बढ़ा है, आय के अवसर लगातार सिकुड़ते गए हैं, उसमें सोने की बढ़ती कीमत उन पर अतिरिक्त मार साबित होगी।